आज के समय में जब हर व्यक्ति को अपने भविष्य को सुरक्षित करने की चिंता होती है, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा पेंशनभोगियों के लिए जारी किए गए नए दिशा-निर्देश एक राहत की खबर की तरह हैं। ये दिशा-निर्देश पेंशन, जीपीएफ (GPF), ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में सुधार लाने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं। खासकर वे कर्मचारी जिन्होंने 2006 से पहले सेवा समाप्त की है, इन दिशा-निर्देशों से उन्हें बेहतर लाभ प्राप्त हो सकेगा।
केस 1: पेंशन संशोधन (छठे वेतन आयोग के तहत)
पहले पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन के 50% के आधार पर किया जाता था, जिसमें कई तरह की विसंगतियाँ थीं। कुछ लोग, जैसे श्री माणिकलाल, दावा करते थे कि उनका पेंशन सही तरीके से निर्धारित नहीं हुआ। अब नए दिशा-निर्देशों के तहत, पेंशन का निर्धारण दो तरीके से किया जाएगा – अंतिम वेतन का 50% और न्यूनतम वेतन बैंड + ग्रेड पे का 50%। इससे पेंशनभोगियों को अधिकतम और न्यायसंगत पेंशन मिलेगी।
केस 2: सेवा अवधि और पेंशन पात्रता
कई बार कम सेवा अवधि के कारण कर्मचारी पेंशन से वंचित रह जाते हैं। जैसे कि, श्री जगदीश, जिन्हें 9 वर्ष 8 महीने की सेवा के बाद पेंशन नहीं मिली। अब सरकार ने निर्देश दिए हैं कि कुछ महीनों की सेवा को पूर्ण वर्ष माना जाएगा जिससे अधिक कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिल सके।
केस 3: विलंबित भुगतान पर ब्याज का प्रावधान
पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में देरी होने पर वित्तीय संकट का सामना करने वाले पेंशनभोगियों के लिए, सरकार ने तय किया है कि यदि देरी 3 महीनों से अधिक होती है, तो उन्हें 6% ब्याज दिया जाएगा।
केस 4: नई पेंशन प्रणाली (NPS) बनाम पुरानी पेंशन योजना (OPS)
NPS और OPS के बीच भ्रम को दूर करने के लिए, मृत कर्मचारी के परिवार को पुरानी पेंशन योजना के लाभ देने का निर्णय लिया गया है। यदि कोई पात्र सदस्य नहीं है, तो NPS फंड कानूनी उत्तराधिकारी को मिलेगा।
केस 5: सामान्य भविष्य निधि (GPF) और अधिकतम सीमा
जीपीएफ में वार्षिक योगदान की सीमा निर्धारित की गई है, और इस सीमा को पार करने पर अतिरिक्त कटौती रोकी जाएगी। हालांकि, सीमा के पार जाने पर ब्याज कर योग्य होगा।
केस 6: ग्रेच्युटी का भुगतान (अस्थायी कर्मचारियों के लिए)
अस्थायी कर्मचारियों को भी सेवाकाल के आधार पर ग्रेच्युटी का लाभ दिए जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे वे अपने अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।