देश में मार्च कुछ साल पहले ही लागू हुए फास्ट टैग सिस्टम को अब नया सिस्टम बदलने जा रहा है. मार्च कुछ साल पहले वाहन चालकों को अपने गाड़ियों में किसी भी टोल टैक्स पर रख कर फास्ट टैग लगवाना पड़ा था उसी प्रकार से अब नया व्यवस्था फिर से लागू होने जा रहा है जिसके अंतर्गत GNSS सिस्टम लगवाना होगा.
हर बार की भांति इस बार भी नए सिस्टम को लेकर नए चैलेंज किए गए हैं और जनता को भरपूर फायदे गिनाई जा रहे हैं. जब पहली बार फास्ट टैग सिस्टम लागू हुआ था तब यह बताया गया था कि लोगों के लिए 30 सेकंड के भीतर टोल टैक्स पर करना आसान हो जाएगा. इतना ही नहीं लोगों के पैसे बचेंगे इसका भी दावा किया गया था.
हालांकि इसमें से महज दो ही चीज है अभी तक सामने दिखाई हैं तो वह यह है कि अब टोल प्लाजो पर पहले के मुकाबले काम लंबा लाइन लगा हुआ रहता है लेकिन अभी भी टाल प्लाजो पर वाहनों की कतार आम बात है. कभी लिंक फेल तो कभी सिस्टम काम नहीं कर रहा है इत्यादि बोलकर लोगों को 10 मिनट से 15 मिनट तक का समय टोल प्लाजा को पार करने में लग जाता है.
नए सिस्टम का चालू हो गया है टेस्टिंग, और इसमें भी भरपूर फायदे गिनाई जा रहे हैं.
GNSS सिस्टम को भारतीय सड़कों पर लाया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि अब टोल प्लाजा हटा दिए जाएंगे और उसके जगह पर सैटेलाइट बेस सिस्टम Toll वसूली का काम करेगा. इतना ही नहीं इस सिस्टम को इस्तेमाल करने वाले वाहनों को 20 किलोमीटर के दायरे में अगर रुकना है या घर इत्यादि है तो उसका टोल टैक्स वसूली नहीं होगा.
इतना ही नहीं इस पर जो काटने वाला चार्ज है वह प्रति किलोमीटर के हिसाब से कटेगा ताकि लोग जितना एक्सप्रेसवे पर चलेंगे उतना ही टोल टैक्स उन्हें देना पड़ेगा. कई बार किसी लूप लाइन से या अन्य हाईवे से सफर करते हुए लोग शहर आते हैं और शहर के पास लगे हुए टोल टैक्स पर भारी भरकम पैसा उन्हें दे देना पड़ता है. इस संकट से अब उन्हें मुक्ति मिलेगी.
मौजूदा समय में इसे दो प्रमुख सड़कों पर टेस्ट किया जा रहा है जो की बेंगलुरु मैसूर हाईवे NH 275 है और पानीपत हिसार हाईवे NH 709 है.
एक बार यह सिस्टम हर तरीके से सफल परीक्षण में पास होता है तो जल्द ही लोगों को फिर से एक नया सिस्टम इनस्टॉल करने के लिए गाड़ियों को सर्विस सेंटर या टोल नको पर खड़ा करना होगा और नया सिस्टम लगवाना होगा.