अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (आयात शुल्क) नीति का असर जल्द ही अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ सकता है। ट्रंप प्रशासन द्वारा विभिन्न देशों पर 25% तक के टैरिफ लगाने की धमकी से कई घरेलू और विदेशी उत्पाद महंगे हो सकते हैं। Moody’s Analytics की रिपोर्ट के अनुसार, अगर मेक्सिको और कनाडा से आने वाले उत्पादों पर 25% और अन्य देशों से आने वाले सामान पर 10% टैरिफ लगाया जाता है, तो आम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी हो सकती है।
1. लग्जरी और ब्रांडेड उत्पादों पर सबसे अधिक असर
कुछ वस्तुएं ऐसी हैं, जिनकी बाजार में कई प्रतिस्पर्धी कंपनियां होती हैं, इसलिए उनमें कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। उदाहरण के लिए:
- भारतीय टेबलक्लॉथ पर 10% टैरिफ लगने से इसकी कीमत सिर्फ 2% तक बढ़ेगी, क्योंकि ऐसे प्रोडक्ट अन्य देशों से भी आयात किए जाते हैं।
- रिटेल विक्रेता इन टैरिफ से बचने के लिए अन्य विकल्प तलाश सकते हैं या कीमतें कम कर सकते हैं।
लेकिन विशिष्ट और महंगे ब्रांडेड प्रोडक्ट्स पर सीधा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए:
- इटैलियन वाइन जिसकी कीमत 21.99 डॉलर है, 10% टैरिफ के बाद इसकी कीमत 24.08 डॉलर हो जाएगी।
- ऐसे ब्रांडेड उत्पाद जिनका कोई सस्ता विकल्प नहीं होता, उनकी कीमतों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा।

2. ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भारी असर
मेक्सिको से अमेरिका में सबसे अधिक यात्री वाहन आयात होते हैं। 2024 में कुल आयात का 23% हिस्सा मेक्सिको से आने वाले वाहनों का होगा। यदि ट्रंप प्रशासन 25% टैरिफ लगाता है, तो:
- कारों की कीमतें तेज़ी से बढ़ेंगी।
- कंपनियों को यह बढ़ी हुई लागत ग्राहकों से वसूलनी पड़ेगी, जिससे वाहन खरीदना महंगा हो जाएगा।
2018 में जब अमेरिका ने वॉशिंग मशीन पर टैरिफ लगाया था, तो केवल वॉशिंग मशीन ही नहीं, बल्कि ड्रायर की कीमतें भी बढ़ गई थीं। इस बार भी इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर ऐसा ही असर पड़ सकता है, क्योंकि स्टील और एल्युमिनियम जैसे कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ेंगी।
3. अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा
ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी झटका लग सकता है। ISM मैन्युफैक्चरिंग सर्वे के अनुसार:
- उत्पादन (Production) में कमी आ रही है।
- नए ऑर्डर घट गए हैं, जिससे कंपनियां परेशान हैं।
- कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है।
- उपभोक्ताओं पर महंगाई का सीधा असर पड़ सकता है, क्योंकि कंपनियां अपने खर्चों को कवर करने के लिए कीमतें बढ़ाएंगी।





