1 Aprail से नए टैक्स नियमों के तहत 12 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम वालों को राहत मिलेगी। लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर किसी की कमाई 12 लाख से ज्यादा हो तो क्या वो अपने सैलरी स्ट्रक्चर को ऐसे एडजस्ट कर सकता है कि उसकी टैक्सेबल इनकम 12 लाख रुपये या उससे कम रह जाए?
कैसे कम कर सकते हैं टैक्सेबल इनकम?
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नए टैक्स सिस्टम में कुछ ऐसे अलाउंसेज़ और रीइंबर्समेंट्स हैं जो टैक्स फ्री होते हैं, अगर सही तरीके से दावा किए जाएं। इनमें से कुछ प्रमुख तरीके नीचे दिए गए हैं:
1. कन्वेयंस रीइंबर्समेंट
अगर आपके ऑफिस आने-जाने का खर्च कंपनी उठाती है और आप इसके बिल्स जमा कर देते हैं, तो ये रीइंबर्समेंट टैक्स फ्री हो सकता है।
2. स्पेशल एम्प्लॉई ट्रांसपोर्ट अलाउंस
अगर कोई कर्मचारी दिव्यांग (ब्लाइंड, डेफ, डंब, या लोअर एक्स्ट्रीमिटीज़ से हैंडीकैप्ड) है, तो उसे ट्रांसपोर्ट अलाउंस के रूप में हर महीने ₹3,200 (या सालाना ₹38,400) तक की छूट मिल सकती है।

3. मोबाइल और इंटरनेट रीइंबर्समेंट
अगर कंपनी आपके मोबाइल और इंटरनेट बिल्स को रीइंबर्स करती है, तो ये भी टैक्स फ्री हो सकता है। हालांकि, इसकी लिमिट तय नहीं है, लेकिन इसे कर्मचारी के पद और जिम्मेदारियों के हिसाब से ‘रिज़नेबल’ होना चाहिए।
4. कार लीजिंग पॉलिसी
अगर कंपनी आपको कार देती है और वो ऑफिस और पर्सनल दोनों काम के लिए इस्तेमाल होती है, तो इसे एक ‘पर्क’ माना जाता है। लेकिन इसका टैक्सेबल वैल्यू बहुत कम होता है:
- 1.6 लीटर इंजन क्षमता तक की कार पर ₹1,800 प्रति माह टैक्सेबल (अगर ड्राइवर है तो ₹900 अतिरिक्त)
- 1.6 लीटर से ज्यादा क्षमता वाली कार पर ₹2,400 प्रति माह टैक्सेबल (ड्राइवर के साथ ₹900 अतिरिक्त)
टैक्स सेविंग की कैलकुलेशन.
मान लीजिए, किसी कर्मचारी की ग्रॉस सैलरी ₹16.37 लाख है और वह ऊपर दिए गए रीइंबर्समेंट्स का फायदा उठाता है, तो उसकी नेट टैक्सेबल इनकम कुछ इस तरह हो सकती है:
| विवरण | राशि (₹) |
|---|---|
| ग्रॉस पे | 16,37,424 |
| मोबाइल रीइंबर्समेंट (-) | 50,000 |
| कन्वेयंस रीइंबर्समेंट (-) | 2,40,000 |
| स्टैंडर्ड डिडक्शन (-) | 75,000 |
| एम्प्लॉयर का NPS योगदान (-) | 72,424 |
| नेट टैक्सेबल इनकम | 12,00,000 |
अगर कोई व्यक्ति सही प्लानिंग से अपने सैलरी स्ट्रक्चर को एडजस्ट करता है और दिए गए अलाउंसेज़ का सही उपयोग करता है, तो उसकी टैक्सेबल इनकम ₹12 लाख तक लाई जा सकती है, जिससे उसे कोई टैक्स नहीं भरना पड़ेगा।
अतिरिक्त ध्यान देने योग्य बातें
- डिविडेंड इनकम, एफडी ब्याज आदि को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि ये इनकम इसमें शामिल नहीं की गई है।
- पुराने टैक्स सिस्टम में कई और कटौतियों की सुविधा थी, जैसे HRA, LTA, मेडिक्लेम प्रीमियम आदि, जो नए टैक्स सिस्टम में नहीं हैं।
अगर आपको अपने टैक्स बचत की सही योजना बनानी है, तो अपने ऑफिस के HR से बात करें और अपने अलाउंसेज़ का सही तरीके से इस्तेमाल करें।





