Council for Strategic and Defense Research (CSDR) की रिपोर्ट माने तो बीते एक दशक में भारत ने खाड़ी देशों (Gulf countries) के साथ अपने संबंधों को विशेष प्राथमिकता दी है. खासतौर पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ भारत के संबंध काफी मजबूत हुए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की खाड़ी देशों के साथ सक्रियता
यूं तो पहले से ही भारत का खाड़ी क्षेत्र से ऐतिहासिक संबंध रहा है, लेकिन साल 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार यात्राओं और पहल के चलते ये रिश्ते और अधिक मजबूत हुए हैं. वे GCC (Gulf Cooperation Council) के सभी छह सदस्य देशों (सऊदी अरब, UAE, कतर, कुवैत, बहरीन, ओमान) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं.
रणनीतिक और आर्थिक भागीदारी
भारत ने खाड़ी देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य सहयोग के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है.
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साल 2019 में सऊदी अरब के साथ Strategic Partnership Council बनाने वाला भारत चौथा देश बना चुका है.
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UAE के साथ 2022 में Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) हुआ, जिससे व्यापार 85 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
ऊर्जा और प्रवासी भारतीय
गौरतलब है कि खाड़ी देश भारत के शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता हैं. 9.7 मिलियन (97 लाख) प्रवासी भारतीय खाड़ी देशों में रहते हैं — यह दुनिया में किसी एक क्षेत्र में भारतीयों की सबसे बड़ी संख्या है.
सामरिक दृष्टिकोण में बदलाव
CSDR रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने खाड़ी क्षेत्र को अब एक रणनीतिक स्थान (Strategic Space) के रूप में देखना शुरू कर दिया है — जहां रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की व्यापक संभावनायें हैं.
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भारत और खाड़ी देशों के बीच सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त अभ्यास भी होने शुरु हो गए हैं.
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भारत की “विकसित भारत 2047” योजना और सऊदी अरब की “विजन 2030” एक-दूसरे से मेल खाती हैं.
बिजनेस में हुई रिकॉर्ड वृद्धि
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2017-18 में खाड़ी देशों के साथ भारत का बिजनेस ASEAN और EU देशों से भी आगे निकल गया.
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2023-24 में यह बढ़कर 162 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
संबंधों में होगी और मजबूती
रिपोर्ट कहती है कि आने वाले समय में इन संबंधों में और मजबूती आएगी, अगर बौद्धिक संवाद (intellectual contact) और जनता के बीच समझदारी को और बढ़ावा दिया जाए.




