इज़राइल-ईरान संघर्ष और ग़ाज़ा में इज़राइल-हमास युद्ध भले ही यूएई से काफी दूर घटित हो रहे हों, लेकिन इससे होने वाले मानसिक तनाव का असर यहां भी देखने को मिल रहा है. न्यूज़ चैनल्स और सोशल मीडिया पर ऐसी वीडियोज़ और तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं — जिनमें बिना किसी सेंसरिंग के मिसाइल हमले, इमारतों के धमाके, सड़कों पर बिखरे शव और अन्य भयावह दृश्य दिखाए जा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर युद्ध से जुड़े दृश्यों को देखने से बचें
इस तरह की ग्राफ़िक और हिंसक सामग्री देख रहे लोगों में अब चिंता, भय और भावनात्मक अस्थिरता जैसी मानसिक समस्याएं तेजी से सामने आ रही हैं. मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे कंटेंट से ट्रिगर होकर कई मरीज क्लीनिक पहुंच रहे हैं जो नींद न आना, घबराहट, बेचैनी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. विशेषज्ञों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे सोशल मीडिया पर युद्ध से जुड़े दृश्य देखने से बचें, विशेषकर बच्चों और किशोरों को इससे दूर रखें, और ज़रूरत महसूस हो तो मनोचिकित्सकीय सलाह जरूर लें.
बढ़ रहा है मानसिक तनाव
एनएमसी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दुबई इन्वेस्टमेंट्स पार्क (DIP) में विशेषज्ञ मनोरोग चिकित्सक डॉ. कपिल सुंदरकांत कुलकर्णी ने पुष्टि की है कि युद्ध से जुड़ी चिंता के कारण मनोवैज्ञानिक मदद लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. डॉ. कुलकर्णी ने कहा, हां संघर्ष शुरू होने के बाद से मनोरोग विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों से परामर्श के लिए ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है.
उन्होंने आगे बताया हर दिन आने वाले युद्ध से जुड़े अपडेट आम लोगों में ही नहीं, बल्कि उन खास समूहों में भी चिंता और मानसिक तनाव का कारण बन रहे हैं जो पहले से ही ऐसी स्थितियों के प्रति संवेदनशील हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार हिंसात्मक खबरें और दृश्य देखना लोगों के मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकता है, इसलिए मीडिया एक्सपोज़र सीमित करना और पेशेवर मदद लेना बेहद जरूरी है.
डॉ कुलकर्णी ने कहा, जहां कई लोग स्वेच्छा से मानसिक स्वास्थ्य सहायता ले रहे हैं, वहीं कुछ मरीजों को चिंतित परिजनों द्वारा लाया जा रहा है. उन्होंने कहा लेकिन समाज के कुछ वर्गों में अब भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है. उन्होंने कहा, युद्ध के मानसिक प्रभावों और उपलब्ध संसाधनों के बारे में उन्हें शिक्षित करना बेहद ज़रूरी है.
ऑनलाइन कंटेंट से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर
डॉ. जावेद ने कहा लगातार हिंसक या त्रासदपूर्ण सामग्री देखने से लंबे समय तक चलने वाले मानसिक प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें लगातार दुःख की भावना, निराशा, बुरे सपने और नींद से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं. उन्होंने आगे बताया इस तरह की सामग्री को लगातार देखने से पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के मामलों में वृद्धि हो रही है.
मानसिक तनाव को कैसे करें दूर
डॉ. जावेद ने सलाह दी अपनी स्क्रीन टाइम सीमित करें, परेशान करने वाली फोटोज और वीडियो से बचें, और यह जानें कि आप क्या देख रहे हैं – इसका आपके मन पर क्या असर पड़ रहा है.
उन्होंने मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए :
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योग और ध्यान (Meditation)
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नियमित व्यायाम
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स्वस्थ आहार
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शांतिपूर्ण संगीत सुनना




