कुवैत की “Central Agency for Remedying Illegal Residents’ Status” (बिदून मामलों के प्रभारी सरकारी निकाय) ने घोषणा की है कि वह विदेशी पत्नियों से आवेदन स्वीकार करना शुरू करेगा जिनके कुवैती पतियों की नागरिकता रद्द कर दी गई थी।
किन पर लागू होगा ये फैसला-
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वे विदेशी महिलायें जो कुवैती पुरुषों से विवाहित हैं, लेकिन कभी नागरिकता नहीं मिली।
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वे विदेशी महिलायें जिन्हें पहले कुवैती नागरिकता मिली थी, लेकिन बाद में रद्द कर दी गई है और वे अब बिना वैध दर्जे के कुवैत में रह रही हैं।
हालांकि एजेंसी ने आवेदन प्रक्रिया, पात्रता मानदंड, या इस नीति बदलाव से संभावित परिणामों के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है, लेकिन फिर भी यह पहल कुवैती नागरिकों से जुड़े कुछ व्यक्तियों को लंबे समय से झेल रहे कानूनी अस्पष्टता से बाहर निकालने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम माना जा रहा है।
कुवैत सरकार के उस वृहद प्रयास का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लंबे समय से चल रहे नागरिकता और दस्तावेज़ीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान करना है—विशेष रूप से उन राज्यहीन (stateless) व्यक्तियों के लिए, जो कुवैती नागरिकों से संबंध के कारण कानूनी रूप से अस्थिर परिस्थितियों में रह रहे हैं।
बिदून समुदाय से जुड़ी समस्या ने हाल के सालों में मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का ध्यान खींचा है, जिन्होंने लगातार इस पर चिंता जताई है। हालांकि, एजेंसी की ओर से इस संबंध में अब तक कोई अतिरिक्त स्पष्ट जानकारी जारी नहीं की गई है।




