नई दिल्ली में आयोजित “एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी का बड़ा बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा, चाहे उन्हें इसके लिए कोई भी निजी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं में अमेरिका चाहता है कि भारत उसके कृषि और डेयरी उत्पादों पर कोई सीमा शुल्क न लगाए, लेकिन भारत इस मांग को मानने से इनकार कर रहा है। इस बीच अमेरिका ने भारत से आयातित कुछ उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैक्स लगा दिया है, जिससे कुल टैक्स 50% हो गया है। इससे भारत के झींगा (shrimps) जैसे प्रमुख निर्यात प्रभावित होंगे।
पीएम मोदी ने कहा, “हमारे लिए किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत कभी भी किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि मुझे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, खेती की लागत घटाने और नई आमदनी के स्रोत बनाने पर लगातार काम कर रही है।
अमेरिका का दबाव और भारत की सख्त प्रतिक्रिया
भारत ने स्पष्ट किया है कि जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फसलें जैसे मक्का और सोया को भारत में आयात करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह भारत का सिद्धांत है। वहीं अमेरिका ने भारत पर और ज्यादा दबाव डालते हुए कई भारतीय उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिए हैं। यह कदम रूस से भारत के तेल आयात के चलते उठाया गया है।
भारत का अमेरिका को जवाब
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह कदम अनुचित और अन्यायपूर्ण है। भारत ने कहा है कि वह 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए जो कर रहा है, वह पूरी तरह से बाजार के हिसाब से है। दुनिया के कई देश रूस से तेल खरीद रहे हैं, फिर भी सिर्फ भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जो नाइंसाफी है। भारत ने यह भी कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।




