याह्या और ज़ैनब अल यास्सी के लिए इस साल का विश्व अंगदान दिवस बेहद व्यक्तिगत महत्व रखता है। कुछ ही महीने पहले उनका शिशु बेटा अहमद, दुर्लभ जेनेटिक स्थिति के कारण जीवन-मरण के संकट में था। केवल पांच महीने और 4.4 किलो वजन के अहमद UAE के सबसे कम उम्र के रोगी बने, जिन्होंने सफल लीवर ट्रांसप्लांट कराया। यह सफलता उनकी चाची, हायफ़ा पांच बच्चों की मां और बुर्जील मेडिकल सिटी (BMC), अबू धाबी की विशेषज्ञ टीम की बहादुरी और कौशल का नतीजा है।
हायफ़ा ने कहा, “मुझे एहसास हुआ कि अपने लीवर का एक हिस्सा दान करने से उसका जीवन बच सकता है और मैंने यह करना ही था। यह एक बंधन है जिसे कुछ भी तोड़ नहीं सकता।”
स्थिति और जोखिम
अहमद, याह्या और ज़ैनब का पांचवा बच्चा है। जन्म के बाद जब उसके लीवर एंजाइम स्तर बढ़े, तो डॉक्टरों ने उसे ATP6AP1-संबंधित जन्मजात रोग (ATP6AP1-related congenital disorder of glycosylation) का निदान किया यह एक बेहद दुर्लभ बीमारी है, दुनिया में इसके 25 से कम ही मामले ज्ञात हैं।
BMC के एब्डोमिनल ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ, डॉ. जॉन्स शाजी मैथ्यू ने कहा, “इस रोग में लीवर पर गंभीर असर होता है। अहमद की स्थिति तेजी से लीवर फेल्योर की ओर बढ़ रही थी। इस दुर्लभ स्थिति में कोई आसान उत्तर नहीं था, केवल कठिन फैसले थे।”
जीवनदान: चाची ने किया योगदान
परिवार ने तुरंत जीवित दाता की खोज शुरू की। उम्मीद उनके भीतर मिली: हायफ़ा ने आगे बढ़कर अपने लीवर का हिस्सा दान किया और अहमद के लिए जीवन संभव बनाया। याह्या ने कहा, “हमने पहले अपने बेटे को खोने का दर्द महसूस किया था। जब हमें पता चला कि हमारे दूसरे बेटे को भी समान समस्या है, तो लगा जैसे यह हमारी किस्मत थी। लेकिन BMC के डॉक्टरों ने हमें नई आशा दी, और मेरी बहन ने हमें फिर से जीवन दिया।”
सर्जरी: तकनीकी चमत्कार
लीवर ट्रांसप्लांट 4 अप्रैल को हुआ और यह क्षेत्र में अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण पेडियाट्रिक सर्जरी में से एक मानी जाती है। डॉ. गौरब सेन और डॉ. मैथ्यू की टीम ने डोनर के लीवर का मोनो-सेगमेंट ग्राफ्ट तैयार किया, ताकि शिशु के छोटे पेट में फिट हो सके।
डॉ. सेन ने बताया, “यह 12 घंटे की सटीक सर्जरी थी। इस छोटे शिशु में हर संरचना बेहद नाजुक थी, हर नस माचिस की तिल्ली जैसी पतली। गलती की गुंजाइश लगभग शून्य थी।”
अद्भुत रिकवरी
सर्जरी के बाद अहमद जल्दी स्वस्थ होने लगा। कुछ ही दिनों में उसने खाना शुरू किया और लीवर कार्य ठीक होने लगा। उसकी रिकवरी का समर्थन पेडियाट्रिक इंटेंसिविस्ट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, डायटिशियन, रेडियोलॉजिस्ट और रिहैबिलिटेशन विशेषज्ञों की टीम ने किया।
इस केस की खासियत सिर्फ रोगी की उम्र और वजन ही नहीं, बल्कि दुर्लभ जेनेटिक निदान और विश्व स्तर पर सफल ट्रांसप्लांट की कमी भी है। अहमद उन चुनिंदा बच्चों में शामिल हैं, जिन्होंने इस अल्ट्रा-रेयर बीमारी से ट्रांसप्लांट के माध्यम से जीवित बचने में सफलता पाई।
आशा की कहानी
आज अहमद धीरे-धीरे बढ़ रहा है। उसका लीवर कार्य सुधर रहा है और न्यूरोडेवलपमेंटल मीलस्टोन की निगरानी की जा रही है। वह दीर्घकालिक देखभाल योजना के अंतर्गत है, जिसमें विशेष पोषण, इम्यून मॉनिटरिंग और परिवार परामर्श शामिल हैं।
याह्या ने कहा, “हमारे बच्चे की रिकवरी एक चमत्कार है। हम कभी नहीं जानते थे कि हमें एक और जीवन का मौका मिलेगा। मैं आशा करता हूं कि हमारी कहानी दूसरों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करे। आप नहीं जानते कि आप किसका जीवन बदल सकते हैं।”




