सऊदी अरब और पाकिस्तान ने बुधवार को एक औपचारिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके अगले ही दिन, भारत ने कहा कि वह इस समझौते के असर को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के दृष्टिकोण से “ध्यान से अध्ययन” करेगा। साथ ही भारत ने दोहराया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
इस समझौते को अमेरिका की क्षेत्र से दूरी बनाने, क़तर की राजधानी दोहा में इज़रायल द्वारा हमास नेताओं पर हमले और पूरे क्षेत्र की बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के संदर्भ में देखा जा रहा है। समझौते पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने हस्ताक्षर किए। इसमें कहा गया है कि “किसी एक देश पर हुआ हमला, दोनों पर हुआ हमला माना जाएगा।”
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “हमें इस समझौते की जानकारी थी। यह पहले से विचाराधीन था और अब औपचारिक रूप से हो गया है। हम इसके असर का अध्ययन करेंगे और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” हालांकि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच पहले से सुरक्षा सहयोग रहा है, लेकिन पिछले एक दशक में भारत और सऊदी अरब के रिश्ते भी काफी मजबूत हुए हैं। भारत इस समझौते को लेकर सतर्क है, क्योंकि इसमें शामिल एक तरफ उसका नज़दीकी रणनीतिक साझेदार सऊदी अरब है और दूसरी तरफ पाकिस्तान है, जिसके साथ हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद चार दिन तक सैन्य टकराव हुआ था।
सऊदी अरब ने उस हमले की निंदा भी की थी, क्योंकि यह घटना उस समय हुई थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। इसके बाद सऊदी मंत्री अदेल अल-जुबैर बिना घोषणा किए भारत आए थे, जब भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी।




