नीति के ज्ञाता माने जाने वाले चाणक्य का एक बड़ा संदेश था जो उन्होंने अपने राजा को दिया था और कहा था कि जब तक इसका पालन करोगे तब तक तुम्हें अपने सफलता से पीछे कोई नहीं हटा सकेगा. वह वाक्य था कि “अपने काम को पहले अंजाम दो फिर उसके बाद इसकी चर्चाएं कहीं पर भी करो”.
डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर में डंका बजवा दिया कि इसराइल और हमास का युद्ध खत्म हो गया और वह शांति दूत हैं. इतना ही नहीं नोबेल प्राइज को प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने आप को उपयुक्त कैंडिडेट भी घोषित खुद से कर दिया और उसका दबाव अपने समर्थकों के द्वारा हर जगह डलवाना चालू कर चुके थे. लेकिन अभी जो ग्राउंड रिपोर्ट आई है उसको जानने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे एकदम खोखले नजर आएंगे.

गाज़ा में रविवार को हुई झड़पों के बाद हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। यह अब तक के सीज़फायर का सबसे बड़ा उल्लंघन माना जा रहा है। इज़रायली हमलों में कम से कम 40 फ़िलिस्तीनियों की मौत हुई, जबकि शुरुआती घटना में 2 इज़रायली सैनिकों की मौत के बाद हिंसा भड़क उठी।
दोनों पक्षों ने इस संघर्ष की वजह को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं और ज़मीन पर क्या हुआ, इसे लेकर विरोधाभासी दावे सामने आ रहे हैं।
इज़रायल का दावा: हमास ने पहले हमला किया
इज़रायल का कहना है कि रफ़ाह क्षेत्र में हमास के लड़ाके सुरंग से निकलकर आए और उन्होंने रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड से एक सैन्य वाहन को निशाना बनाया, जिसमें दो सैनिक मारे गए।
इज़रायली सेना का यह भी आरोप है कि उसी क्षेत्र में स्नाइपर फायर से उनके अन्य सैनिक घायल हुए।
इज़रायल के कई राजनेताओं ने सीज़फायर खत्म कर युद्ध फिर से शुरू करने की मांग तक कर दी है।
हमास का जवाब: “हम पर झूठा आरोप, हम शामिल नहीं थे”
हमास ने बयान जारी करते हुए कहा कि रफ़ाह में हुई घटना से उसका कोई संबंध नहीं है।
उसने उल्टा इज़रायल पर आरोप लगाया कि “सीज़फायर लागू होने के पहले दिन से ही इज़रायल समझौते को तोड़ रहा है।”
हमास ने यह भी दावा किया कि मार्च से रफ़ाह क्षेत्र में मौजूद उसकी इकाइयों से संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, इसलिए उन घटनाओं में उसकी भूमिका संभव ही नहीं है।
अमेरिका की भूमिका और कूटनीतिक दबाव
इस बीच, स्थिति और न बिगड़े, इसके लिए अमेरिका सक्रिय दिख रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दूत स्टीव विटकॉफ़ और जारेड कुश्नर इज़रायल पहुँच रहे हैं, ताकि सीज़फायर योजना को पटरी पर रखा जा सके।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD वांस भी मंगलवार को इज़रायल पहुँचेंगे।
ट्रंप ने बयान दिया कि संभव है कि हमले हमास नेतृत्व के आदेश पर न हुए हों, बल्कि “कुछ बाग़ी समूहों” की ओर से प्रतिक्रिया हुई हो।
अमेरिकी अधिकारी भी डिप्लोमेसी को जारी रखने की बात कह रहे हैं और सीधी टिप्पणी से बच रहे हैं।
तीसरा दावा – हमले की असली वजह IED?
अमेरिकी मीडिया में यह भी दावा सामने आया है कि धमाका दरअसल इज़रायली वाहन के अनएक्सप्लोडेड IED से टकरा जाने से हुआ — यानी हमला हमास की ओर से था ही नहीं।
कुछ अमेरिकी पत्रकारों का कहना है कि वॉशिंगटन ने यह बात इज़रायल को भी बता दी है।
हालात नाज़ुक, लेकिन बड़ा संघर्ष टलता दिखा
हालांकि सोमवार को भी झड़प की खबरें आईं और इज़रायल ने “पीली रेखा” पार करने पर आतंकियों पर गोलीबारी करने का दावा किया, लेकिन बड़े स्तर पर लड़ाई फिर से शुरू होने से फिलहाल बचाव होता दिख रहा है।
गाज़ा में हालात अभी भी बेहद नाज़ुक हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़रें इस पर टिकी हैं कि सीज़फायर बचता है या पूरी तरह टूट जाता है।




