चुनावों से पहले घोषित होने वाली “मुफ़्त योजनाएँ” और कैश सहायता भारत के कई राज्यों की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ रही हैं। बिहार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहाँ कल्याणकारी वादों से कोष पर 41,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त भार पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों का कर्ज लगातार बढ़ रहा है और खर्च उनकी कमाई से कई गुना आगे निकल चुका है।
मुख्य बातें (Key Highlights)
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मुफ़्त योजनाएँ और चुनावी वादे बढ़ा रहे वित्तीय दबाव
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बिहार: नई योजना का बोझ 41,000 करोड़ रुपये तक
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कई राज्यों का 70% से अधिक राजस्व केंद्र पर निर्भर
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चुनावी वर्षों में घाटा और कर्ज तेज़ी से बढ़ता है
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राज्यों की आय कम, लेकिन पेंशन–वेतन–सब्सिडी पर खर्च तेज़
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2025–26 तक राज्यों के अनिवार्य खर्च 50% और बढ़ सकते हैं

📰 पूरी खबर — आसान भाषा में
भारत के कई राज्यों में चुनावी दौर के साथ-साथ “मुफ़्त योजनाओं” और कैश सहायता देने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए कल्याणकारी योजनाएँ जारी तो कर रहे हैं, लेकिन इनका असर राज्यों की वित्तीय हालत पर साफ दिखने लगा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन मुफ़्त योजनाओं पर खर्च तेज़ी से बढ़ रहा है, जबकि राज्यों की कमाई उतनी नहीं बढ़ रही। इससे राज्यों के बजट पर बड़ा दबाव बन रहा है और कई जगह वित्तीय स्थिति कमजोर होती जा रही है।
🧨 सबसे बड़ा असर — बिहार का उदाहरण
हाल ही में बिहार ने “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” और महिलाओं को ₹10,000 की नकद सहायता देने की घोषणा की। इस योजना से राज्य पर 41,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है।
लेकिन बिहार की आय का 70% हिस्सा केंद्र से मिलने वाली सहायता पर निर्भर है। ऐसे में यह बोझ राज्य के फंड को और कमजोर कर सकता है।
🗳️ चुनावी राज्यों में सबसे ज़्यादा दबाव
पिछले दो साल में जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं, वहाँ वित्तीय स्थिति और खराब होती देखी गई है।
कारण — चुनावी माहौल में सरकारें अधिक से अधिक मुफ्त योजनाएँ लॉन्च करती हैं, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ता जाता है।
💰 बढ़ते अनिवार्य खर्च
मुफ़्त योजनाओं के अलावा, राज्यों का बोझ कई अनिवार्य खर्चों पर भी है:
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वेतन
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पेंशन
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ब्याज भुगतान
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सब्सिडी खर्च
2023–24 में कई राज्यों को अपनी कुल आय का 62% हिस्सा सिर्फ इन पर खर्च करना पड़ा।
अगले दो वर्षों में यह खर्च और बढ़कर 50% अतिरिक्त होने की संभावना है।
📊 कौन से राज्य केंद्र के फंड पर सबसे निर्भर?
(रिपोर्ट के अनुसार 2023–24 में राज्यों को केंद्र से मिलने वाले ट्रांसफर का हिस्सा)
| राज्य | केंद्र फंड पर निर्भरता (%) |
|---|---|
| बिहार | 72.2% |
| उत्तर प्रदेश | 55.4% |
| पश्चिम बंगाल | 53.4% |
| मध्य प्रदेश | 52.7% |
| राजस्थान | 46.2% |
| ओडिशा | 44.5% |
| गुजरात | 40.1% |
| केरल | 29.1% |
| तमिलनाडु | 27.0% |
FAQ — आम सवाल
Q. क्या मुफ्त योजनाएँ पूरी तरह गलत हैं?
नहीं, कई योजनाएँ गरीबों के लिए ज़रूरी होती हैं, लेकिन बिना बजट के बड़े वादे वित्तीय असंतुलन पैदा करते हैं।
Q. क्या आगे और दबाव बढ़ेगा?
हाँ, अगर कमाई नहीं बढ़ी तो राज्यों का घाटा और कर्ज दोनों तेज़ी से बढ़ सकते हैं।
Q. क्या केंद्र मदद कर सकता है?
कुछ राज्यों की निर्भरता केंद्र पर पहले से बहुत ज्यादा है। बिना सुधारों के समस्या बनी रहेगी।




