सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में वर्षों से रुकी सुपरनोवा परियोजना को पूरा करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। शीर्ष अदालत ने दिवालिया प्रक्रिया के चलते पुराने प्रबंधन को हटाकर अधूरे काम को तेज़ी से पूरा करने का कदम उठाया है, जिससे घर खरीदारों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
नई समिति का गठन और कार्य प्रणाली
इस समिति की अगुवाई जस्टिस एमएम कुमार करेंगे, और यह तुरंत प्रभाव से कार्यभार संभालेगी। यह समिति अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी), देनदारों की समिति (CoP) और सुपरटेक के निलंबित निदेशक मंडल के स्थान पर कार्य करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर यह निर्देश दिया कि सभी पक्षों के हितों का सम्मान किया जाए।
अधूरे काम को पूरा करने की दिशा में कदम
समिति ने अधूरे काम को पूरा कराने के लिए नई बिल्डर या डेवलपर के प्रस्ताव आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। इसमें पूर्व प्रबंधन या इससे जुड़े डेवलपर्स को भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी घर खरीदारों से मिली राशि और बिकी इन्वेंट्री का पैसा एस्क्रो खाते में जमा हो, केवल निर्माण कार्य में उपयोग किया जाएगा।
नोएडा प्राधिकरण के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया है कि नोएडा प्राधिकरण बिना पुराना बकाया मांगें सभी अधिभोग प्रमाणपत्र और रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरा करे। यह आदेश पुराने बकाए के बिना कार्य प्रक्रिया को सुचारु करने के लिए है।
परियोजना की स्थिति और पहले की कार्रवाई
सुपरनोवा एक मिश्रित उपयोग वाला प्रोजेक्ट है जिसमें रिहायशी फ्लैट, वाणिज्यिक दुकानें और ऑफिस स्पेस शामिल हैं। यह 300 मीटर ऊँचा, 80 मंज़िला टावर बनने जा रहा था, जिसे दिल्ली-एनसीआर की सबसे ऊँची इमारत माना गया। परियोजना में करीब 70 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका था, लेकिन वित्तीय समस्याओं के कारण काम रुका पड़ा था।
उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा
समिति को अब उन खरीदारों के अधिकारों के संरक्षण की जिम्मेदारी निभानी है, जो कई सालों से फ्लैटों का इंतज़ार कर रहे हैं। नए डेवलपर की चयन प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से सम्पन्न किया जाएगा, ताकि परियोजना में कोई और देरी न हो और घर खरीदारों को उनका हक समय पर मिल सके।





