हवाई सफर के दौरान एक ही पीएनआर (PNR) पर टिकट बुक करने के बावजूद यात्रियों को जानबूझकर अलग-अलग सीटें आवंटित की जा रही हैं। एयरलाइंस का यह नया पैटर्न अब यात्रियों की जेब पर भारी पड़ रहा है। अगर आप अपने परिवार या साथी के साथ सफर कर रहे हैं और साथ बैठना चाहते हैं, तो ऑनलाइन चेक-इन के समय आपको इसके लिए अच्छी-खासी रकम चुकानी पड़ सकती है। बिना अतिरिक्त भुगतान किए साथ वाली सीटें मिल पाना अब मुश्किल होता जा रहा है।
परिवार या दोस्तों के साथ एक ही रो (Row) में बैठने की चाहत पर एयरलाइंस वसूल रही हैं 1,500 रुपये तक का एक्स्ट्रा चार्ज
फ्रंट रो, एक्स्ट्रा लेगरूम या विंडो और आइल (Aisle) सीटों के नाम पर एयरलाइंस यात्रियों से 500 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक अतिरिक्त वसूल रही हैं। समस्या यह है कि अगर कोई यात्री केवल बेसिक किराया देकर टिकट खरीदता है और सोचता है कि बाद में सीट चुन लेगा, तो चेक-इन के समय उसे झटका लगता है। उस समय पता चलता है कि साथ बैठने के लिए केवल पैसे देकर खरीदी जाने वाली (Paid) सीटें ही बची हैं। कई मामलों में पति-पत्नी या बच्चों के साथ सफर कर रहे लोगों को मजबूरी में प्रति यात्री अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है।
घरेलू ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में भी चेक-इन के दौरान सिस्टम का ऐसा गणित कि मजबूरन खरीदनी पड़े ‘महंगी सीट’
यह समस्या केवल घरेलू उड़ानों तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर भी यही पैटर्न देखने को मिल रहा है। ऑनलाइन चेक-इन के दौरान एयरलाइंस का सिस्टम अक्सर ऐसी सीटें दिखाता है, जिनमें साथ बैठने के विकल्प केवल ‘चार्जेबल’ होते हैं। वहीं, जो सीटें मुफ्त (Free) होती हैं, वे विमान में अलग-अलग कोनों में दिखाई जाती हैं। ऐसे में दो या उससे अधिक यात्रियों को साथ सफर करने के लिए या तो महंगी सीट चुननी पड़ती है, या फिर पूरे रास्ते अलग-अलग बैठकर जाना पड़ता है।
नियमों के ‘अस्पष्ट प्रावधानों’ का फायदा उठाकर रेवेन्यू बढ़ाने पर है कंपनियों का पूरा जोर
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सीट आवंटन और अतिरिक्त शुल्क को लेकर समय-समय पर गाइडलाइन्स जारी की हैं, लेकिन उनमें परिवार या एक ही PNR वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से साथ बिठाने का कोई सख्त नियम नहीं है। एयरलाइंस इन्हीं अस्पष्ट प्रावधानों का लाभ उठा रही हैं। वे वेब चेक-इन के दौरान सीटों की प्राइसिंग और आवंटन इस तरह तय करती हैं कि उनसे अधिकतम राजस्व (Revenue) प्राप्त किया जा सके। जब सवाल उठता है, तो इसे ग्राहक की ‘पसंद’ (Choice) बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है।
एयरपोर्ट काउंटर पर आखिरी समय में सीट मिलने की उम्मीद अक्सर हो जाती है बेकार, सिस्टम डिफ़ॉल्ट रूप से कर रहा अलग
एयरलाइंस का एल्गोरिदम या सिस्टम एक ही PNR में मौजूद यात्रियों को डिफ़ॉल्ट रूप से अलग-अलग सीटें आवंटित कर देता है। अगर यात्री खुद पैसे देकर सीट नहीं बदलते, तो वे अलग ही रह जाते हैं। कई यात्री इस उम्मीद में एयरपोर्ट जाते हैं कि काउंटर पर रिक्वेस्ट करके साथ वाली सीट ले लेंगे, लेकिन वहां अक्सर “सीटें फुल हैं” कहकर मना कर दिया जाता है। जो यात्री साथ बैठना चाहते हैं, उनके पास पहले से भुगतान करने के अलावा कोई ठोस विकल्प नहीं बचता।
जेब पर पड़ने वाले इस अतिरिक्त बोझ से बचने के लिए यात्रियों को टिकट बुकिंग के साथ ही अपनाने होंगे ये तरीके
इस अतिरिक्त वसूली से बचने का सबसे अच्छा तरीका सतर्कता है। टिकट बुक करते समय ही अगर फ्री या कम लागत वाली सीट उपलब्ध हो, तो उसी समय उसका चयन कर लेना समझदारी है। इसके अलावा, जैसे ही ऑनलाइन चेक-इन (Web Check-in) शुरू हो, तुरंत लॉग-इन करें। चेक-इन विंडो खुलते ही कुछ मामलों में पीछे की कतारों या बीच की सीटों (Middle Seats) में साथ बैठने का विकल्प बिना किसी शुल्क के मिल सकता है। देरी करने पर केवल महंगी सीटें ही विकल्प के तौर पर बचती हैं।





