भारतीय विमानन क्षेत्र में यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर आई है। भारत सरकार ने दो नई एयरलाइंस—अलहिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस—को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कर दिया है। यह कदम घरेलू विमानन बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और यात्रियों को बेहतर विकल्प देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। हाल के दिनों में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो द्वारा लगभग 4500 उड़ानों को रद्द किए जाने के बाद मचे हड़कंप के बीच यह मंजूरी काफी मायने रखती है। इंडिगो का वर्तमान में भारतीय बाजार के 65% हिस्से पर कब्जा है, जिससे एकाधिकार की चिंताएं पैदा हो गई थीं। इस नई पहल से न केवल घरेलू यात्रियों को, बल्कि यूएई और खाड़ी देशों की यात्रा करने वाले लोगों को भी भविष्य में सस्ते किराये की उम्मीद जगी है।
इंडिगो के एकाधिकार को चुनौती और दक्षिण भारत के यात्रियों के लिए सस्ती हवाई यात्रा की उम्मीदें
विमानन मंत्रालय द्वारा दी गई यह मंजूरी सीधे तौर पर बाजार में संतुलन लाने की कोशिश है। इंडिगो के बाद एयर इंडिया का बाजार में करीब 27% हिस्सा है, जिसका मतलब है कि दो बड़ी कंपनियां ही पूरे सेक्टर को नियंत्रित कर रही हैं। इंडिगो में पायलटों से जुड़े नियमों और संकट के चलते हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। अब नई कंपनियों के आने से क्षेत्रीय मार्गों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विशेष रूप से दक्षिण भारत (केरल और तमिलनाडु) से यूएई जाने वाले यात्रियों के लिए यह बड़ी राहत हो सकती है, क्योंकि इन रूट्स पर फिलहाल सीमित एयरलाइंस ही संचालित हैं। नई एयरलाइंस के आने से सीटों की संख्या बढ़ेगी और किराये पर दबाव कम होगा, हालांकि इसका वास्तविक असर 2026 तक संचालन शुरू होने पर ही दिखेगा।
केरल के अलहिंद ग्रुप की बड़ी तैयारी, कोच्चि को हब बनाकर खाड़ी देशों के लिए उड़ान भरने की योजना
इन दो नई एयरलाइंस में अलहिंद एयर की योजनाएं काफी स्पष्ट और महत्वाकांक्षी हैं। यह केरल स्थित अलहिंद ग्रुप की कंपनी है, जो अपनी शुरुआत एटीआर-72 (ATR-72) टर्बोप्रॉप विमानों के साथ करेगी। कंपनी का मुख्य फोकस शुरुआत में दक्षिण भारत के शहरों को जोड़ने पर होगा और इसका संचालन केंद्र (हब) कोच्चि होगा। अलहिंद एयर की नजर भविष्य में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी है, जिसमें यूएई को पहला अंतरराष्ट्रीय गंतव्य बनाने की योजना है। वहीं, दूसरी कंपनी फ्लाईएक्सप्रेस एक स्टार्टअप एयरलाइन है। हालांकि इसकी विस्तृत योजनाएं अभी सार्वजनिक नहीं हैं, लेकिन यह भी क्षेत्रीय उड़ानों पर ही ध्यान केंद्रित करेगी। गौरतलब है कि एनओसी (NOC) मिलना पहला कदम है, इसके बाद दोनों कंपनियों को उड़ान शुरू करने के लिए एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
उड़ान योजना से मिल रहा है क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा, लेकिन नई कंपनियों के सामने आर्थिक चुनौतियां भी कम नहीं
सरकार की ‘उड़ान’ (UDAN) योजना के तहत 2020 से अब तक 6 नई एयरलाइंस को मंजूरी दी जा चुकी है, जिसका उद्देश्य टियर-2 और टियर-3 शहरों में कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। हालांकि, विमानन क्षेत्र में राह इतनी आसान नहीं है। नई कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पूंजी जुटाने और विमानों का बेड़ा तैयार करने की होती है। अलहिंद एयर के सामने भी शुरुआती हिचकोले देखने को मिले हैं, जहां स्टाफ की अनिश्चितता के चलते 120 कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी (Leave without pay) पर भेजने की खबरें सामने आई हैं। ऐसे में, इन नई एयरलाइंस को इंडिगो और एयर इंडिया जैसी स्थापित कंपनियों से टक्कर लेने के लिए अपनी वित्तीय स्थिति और प्रबंधन को बेहद मजबूत रखना होगा।




