राजधानी दिल्ली में गहराते प्रदूषण के संकट को देखते हुए अब सरकार कड़े और बड़े फैसले लेने की दिशा में आगे बढ़ रही है। अगर आप दिल्ली में पेट्रोल या सीएनजी से चलने वाला नया वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आने वाले दिनों में यह आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। सरकार का पूरा जोर अब प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हतोत्साहित करने पर है, जिसके लिए इन गाड़ियों को महंगा करने की रणनीति तैयार की जा रही है। इसके तहत पेट्रोल और सीएनजी वाहनों पर अतिरिक्त पर्यावरण शुल्क (ग्रीन टैक्स) लगाने के साथ-साथ रजिस्ट्रेशन फीस में भी बढ़ोतरी की जा सकती है।
पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए नई नीति में सख्त प्रावधानों की तैयारी
प्रदूषण के खिलाफ इस लड़ाई में सरकार की मंशा स्पष्ट है कि लोग धीरे-धीरे पेट्रोल और सीएनजी छोड़कर इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की तरफ शिफ्ट हो जाएं। यही वजह है कि नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति में ऐसे प्रस्ताव शामिल किए गए हैं, जो पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों की खरीद को महंगा बना देंगे। विशेषज्ञों और पूर्व परिवहन मंत्री अनिल छिछरा का भी तर्क है कि सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों को सस्ता करना या उन पर सब्सिडी देना ही काफी नहीं है। जब तक पेट्रोल और सीएनजी वाहनों से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक हवा की गुणवत्ता में सुधार मुश्किल है।
पार्किंग फीस और वन-टाइम चार्ज में भी हो सकती है भारी बढ़ोतरी, ताकि सड़कों पर वाहनों का बोझ और प्रदूषण दोनों हो कम
सरकार की यह योजना सिर्फ गाड़ियों की खरीद तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन्हें सड़क पर उतारना भी महंगा हो सकता है। प्रस्ताव के मुताबिक, नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के वक्त लगने वाले वन-टाइम चार्ज को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, पार्किंग फीस में भी इजाफा करने पर विचार चल रहा है। माना जा रहा है कि इन कदमों से न सिर्फ निजी वाहनों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगेगी, बल्कि शहर के ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों के स्तर में गिरावट आएगी। फिलहाल सरकार इस प्रस्ताव पर सभी पक्षों की राय लेने के बाद ही अंतिम मुहर लगाएगी।




