दो पीढ़ियों के बीच निश्छल प्रेम में पगी इस कहानी में अपहरण की आशंका ने ट्विस्ट जरूर पैदा किया, लेकिन आखिरकार अंत भला तो सब भला की तर्ज पर सब सुखद रहा।
दादा दादी से मिलने पहुँचे हरियाणा से दरभंगा
दादा-दादी के साथ मासूमों के लगाव की यह पटकथा हरियाणा के सोनीपत से बिहार में दरभंगा के कुशेश्वर से स्थान गांव तक लिखी गई। हालांकि न मासूमों को पता था कि उनके नन्हें कदम एक बड़ी कहानी को जन्म दे रहे हैं और न सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे दादा-दादी को अहसास था कि अगली सुबह पौत्र-पौत्री उनकी गोद में होंगे। एक दिन बाद दोनों बच्चों के मिलने से माता-पिता के साथ पुलिस ने भी राहत की सांस ली है।
माँ बाबूजी अभी घर जाने को तैयार ना थे.
बिहार के मूल निवासी लालेश कुमार मुखिया कई वर्ष से सोनीपत के बहालगढ़ में परिवार के साथ रहते हैं। तीन वर्ष का बेटा पवन और छह वर्ष की बेटी राजकुमारी भी साथ रहती है। भाई-बहन को दादा-दादी से मिलने की प्रबल इच्छा थी, लेकिन माता-पिता फिलहाल उन्हें बिहार ले जाने को तैयार नहीं थे।
छठ पूजा के बाद निकल गये बच्चे
लालेश परिवार सहित छठ महापर्व पर यमुना किनारे पूजन को गए थे। सोमवार सुबह 10 बजे वहां से लौटकर थके होने के चलते पति-पत्नी सो गए। कुछ घंटे बाद जब माता-पिता जागे तो दोनों बच्चे घर में नहीं थे। आसपास थोड़ी देर खोजबीन के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने बच्चों के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर दोनों की तलाश शुरू कर दी। करीब 24 घंटे तक चली यह तलाश तब समाप्त हुई जब मंगलवार दोपहर दरभंगा से लालेश के पिता ठाकम सिंह मुखिया ने फोन करके सूचना दी कि दोनों बच्चे सकुशल बिहार पहुंच गए हैं।