खाड़ी देशों में कामगारों के अधिकारों की रक्षा?
भारत समेत कई देशों से काम करने के लिए कामगार खाड़ी देशों में जाते हैं। काम के लिए उनसे कॉन्ट्रैक्ट कराया जाता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से कामगार को काम नहीं किया जाता है। कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से कामगार को पैसे और सुविधाएं नहीं दी जाती है। इसी बाबत Ministry of Human Resources and Social Development (MHRSD) के Assistant Undersecretary, Eng. Faisal Al-Dhafyan ने कहा है कि अगर कामगार को कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं मिलती है तो वह केस दर्ज करा सकता है।
कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से नियोक्ता और कामगार दोनों को कानूनी अधिकार दिया जाता है
जानकारी के लिए बता दें कि मंत्री ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से नियोक्ता और कामगार दोनों को कानूनी अधिकार दिया जाता है। अगर कामगार को किए गए वादे और कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं दिया जाता है तो वह शिकायत कर सकता है।
कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं मिली तो करा सकते हैं केस दर्ज
मंत्री ने कहा है कि यह उम्मीद की जाती है कि कामगार और नियोक्ता बीच हुए कॉन्ट्रेक्ट के हिसाब से काम और सैलरी दी जाए। उन्हें आपसी विवाद खुद से ही सॉल्व कर लेना चाहिए। हालांकि, मामला अगर नहीं सुलझता है तो लेबर कोर्ट की मदद लेनी चाहिए। कामगार को कॉन्ट्रैक्ट देना जरूरी है। इस तरह से कामगार और नियोक्ता दोनों के अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी।