सरसाें तेल काराेबार का इन दिनाें पीक सीजन चल रहा है, लेकिन मंडी और मिलाें में सन्नाटा पसरा है। सरसों तेल एक बार फिर चार साल पुरानी स्थिति में आ गया है। सरसों के भाव इनदिनाें थाेक में 103 रुपए किलाे हैं, जबकि काेराेना से पहले सरसों तेल 85 रुपए किलाे था। काेराेना में जबरदस्त मांग के चलते तेल के भाव 185 रुपए किलाे तक पहुंच गए थे। किंतु अब हालात बदल गए हैं। सरसों तेल की डिमांड काे पाम/साेया/राइस ऑयल ने आधा कर दिया है।
मस्टर्ड ऑयल प्राेड्यूसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी कृष्ण कुमार अग्रवाल बताते हैं कि देश में प्रति माह करीब 13 लाख टन खाद्य तेल की डिमांड है, जिसमें से 9 लाख टन की पूर्ति पाम/साेया से हा़े रही है। क्योंकि यह सरसों के मुकाबले करीब 10 से 12 रुपए सस्ता है। इसलिए चाट, हलवाई, ढाबे, शादी सहित बल्क में पाम ही यूज हा़े रहा है।
जो मिलें चल भी रही हैं वहां भी 50 फीसदी ही हो रहा काम तेलाें के भाव
- पाम ऑयल – 90 रुपए किलाे
- साेया ऑयल – 92 रुपए किलाे
- राइस ऑयल – 82 रुपए किलाे
- रिफाइंड ऑयल – 93 रुपए किलाे
- सरसाें तेल 103 = रुपए किलाे
2 लाख टन थी डिमांड, 1 लाख टन रह गई
हर साल इस माह औसतन आवक 20 हजार कट्टे रहती है, लेकिन इन िदनाें 3 हजार कट्टे आ रहे हैं। शनिवार काे सरसों के भाव 4954 रुपए बाेले गए। जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 5450 रुपए है। इस सीजन में भरतपुर की तेल मिलों से सरसों तेल की डिमांड 2 लाख टन प्रति माह रहती थी, जबकि इस समय केवल 1 लाख टन तेल की खपत है। क्योंकि देशभर में तेल की डिमांड नहीं है। अगर सरकार ने विदेशी तेलाें में ड्यूटी नहीं लगाई ताे सरसों तेल काराेबार ठप हा़े जाएगा।
ड्यूटी फ्री है पाम ऑयल
पाम ऑयल ड्यूटी फ्री हैं। साथ ही इंडोनेशिया और मलेशिया में इस साल पाम की जबरदस्त पैदावार है। इसलिए इंडिया में पाम ऑयल दबा के आ रहा है। ब्राेकर सुमित सरिया ने बताया कि पाम/साेया की सालाना आवक करीब 80 लाख टन है। इसलिए सरसों तेल काराेबार के पीक सीजन फरवरी से मई में भी काम नहीं है। करीब 65 तेल मिलें बंद हैं। बाकी लगभग 45 तेल कारखानों में 50 पर्सेंट काम हा़े रहा है। इससे लगभग 6 हजार कार्मिकों की राेजी राेटी प्रभावित हा़े रही है।