RBI Future Repo Rate. भारत में इस बार हो रहे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा मॉनिटरी पॉलिसी कंट्रोल बैठक में लोग रेपो रेट में होने वाले बदलाव को लेकर काफी व्याकुल थे। भारत में रिपोर्ट आई कि महंगाई दर कम हो रही है और फलस्वरुप रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने रेपो रेट बैठक में रेपो रेट को और नहीं बढ़ाया।
भारत में हर जगह आंकड़ों में महंगाई कम हो चुकी है भले जनता को पेट्रोल और डीजल ₹100 से ऊपर के भाव में खरीदने पड़ रहे हो। लोगों के खाली से जरूरी सब्जी और दाल गायब हो चुके हैं लेकिन महंगाई आंकड़ों में घट रही हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा रेपो रेट में किसी भी प्रकार के बदलाव न करने की वजह से थोड़े समय के लिए एक सकारात्मक सेंटीमेंट आया लेकिन असलियत में इसका उल्टा असर देखने को मिल रहा है। ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप (OIS) रेट जिसके बदौलत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपने पॉलिसी दरों पर कार्य करता है वह पिछले 8 दिनों में काफी तेजी से बड़े हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अब यह दोबारा से ब्याज दरों पर सोचने को मजबूर कर रहा है। भविष्य में सुझाव यह आ रहे हैं कि ब्याज दरें भविष्य के रेपो रेट बैठकों के बाद घटने के विकल्प कम बचेंगे।
आगामी दिनों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा रेपो रेट में या तो कोई बदलाव नहीं किया जाएगा या फिर अगर बदलाव किया भी जाएगा तो हो सकता है कि दोबारा से रेपो रेट बढ़ाया जाए ताकि असलियत में महंगाई थोड़ी और नीचे आए।
अगर ऐसा होता है तो फिक्स डिपाजिट ब्याज दरों के ऊपर अभी चल रहा स्वर्णिम समय थोड़ा और समय के लिए जारी रहेगा और यह भी हो सकता है कि बचत करके पैसों को संरक्षित रखने वाले लोग और ज्यादा ब्याज दरों का फायदा ले पाए।
दूसरा समस्या या होगा की ब्याज दरें अगर बढ़ती है तो लोन की ईएमआई बढ़ेंगे जिसके वजह से अतिरिक्त वहन जनता के द्वारा करना पड़ेगा।