किसी भी बैंक में आपका पैसा तब तक सुरक्षित है जब तक कि बैंक सुरक्षित है. बैंकों की सुरक्षा बैंकों के द्वारा बांटे गए लोन के परफॉर्मेंस के आधार पर भी निर्भर करता है. अगर किसी बैंक के द्वारा बांटे गए लोन ज्यादा डिफॉल्ट हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में बैंक डूबने की कगार में आ जाता है. अगर आप भी प्राइवेट बैंक में पैसा रखते हैं तो आपको इस प्रकार के ट्रेंड को ध्यान रखना होगा.
कोविड-19 महामारी के बाद कर्जों का पुनर्गठन होने से निजी बैंकों के कर्मों के एनपीए होने और बट्टा खाते में जाने के मामले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लगभग दोगुने हो गए.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की इस रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्जों के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बनने और बट्टा खाते वाले ऋणों का अनुपात 44% हो गया, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह अनुपात सिर्फ 23% था. रिपोर्ट में इस रुझान को ‘आश्चर्यजनक’ बताया गया है.
घरेलू रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बैंकों के वार्षिक परिणामों का विश्लेषण किया है. इसमें पाया गया कि बैंक के बहीखातों में पुनर्गठित ऋणों का अनुपात सितंबर 2022 में सर्वाधिक था.
उस समय पुनर्गठित ऋणों की कुल मात्रा 2.2 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, “जहां कर्जों के ब्याज भुगतान में चूक के कुछ और मामले हो सकते हैं, वहीं बैंकों का मानना है कि पुनर्गठित कर्जों के प्रदर्शन से मोटे तौर पर समग्र पोर्टफोलियो का प्रदर्शन नजर आएगा.