भारतीय रिजर्व बैंक का 2000 रुपए के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का फैसला देश के बैंकों के लिए डिपॉजिट बढ़ाने वाला साबित हुआ है। आरबीआई ने 23 मई से 2000 रुपए के नोट वापस लेने या बैंक खातों में जमा कराने के लिए कहा था जिसके बाद बैंकों के पास भारी संख्या में 2000 रुपए के नोट आ रहे हैं।
इसे ही लेकर बड़ा आंकड़ा सामने आया है। 2 जून को खत्म हुए पखवाड़े में कमर्शियल बैंकों द्वारा 2000 रुपए के नोटों की शक्ल में जमा की गई करेंसी 3.26 लाख करोड़ रुपए बढ़कर रही है। इसके दम पर बैंकों का डिपॉजिट 187.02 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के वीकली स्टेटिस्टकल सप्लीमेंट में ये डेटा दिया गया है और इसके मुताबिक केवल 15 दिनों में देश के बैंकिंग सिस्टम में 2000 रुपए के तौर पर 3.26 लाख करोड़ रुपए आ गए थे जिसके बाद डिपॉजिट बढ़कर 187.02 लाख करोड़ रुपए पर आ चुका है।
इसके अंतर्गत टर्म डिपॉजिट बढ़कर 2.65 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है और डिमांड डिपॉजिट की रकम 7,60,968 करोड़ रुपए पर आ गई है। इन 2000 रुपए के नोटों के बैंकों में लौटने की बदौलत ही इस साल 11.8 फीसदी की डिपॉजिट ग्रोथ रही है और इसके पिछले साल की तुलना में ये अच्छा आंकड़ा है। इससे पिछले साल ये 9.8 फीसदी पर आई थी।
बैंक एफ़डी में करेगी बदलाव
इन सबके बीच बैंकों में बढ़ने वाले रुपयों के वजह से फिक्स डिपाजिट के दरों में मामूली कटौती बैंक के स्तर पर की जा सकती है। जब बैंकों में लोन देने के लिए नगद रुपए की कमी होती है तो बैंक फिक्स डिपाजिट ब्याज दरों में अपने तरफ से बढ़ोतरी करते हैं ताकि लोग बैंकों में पैसे जमा करें और उन पैसों से बैंक लोन बैठकर अपना कारोबार कर सकें।
मौजूदा समय में बैंकों के पास नगद रुपए भरपूर आ रहे हैं अतः कई बड़े बैंकों ने अपने बड़े ब्याज दर वाले फिक्स डिपाजिट स्कीम को बंद भी करना शुरू कर दिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का अमृत कलश योजना भी 30 जून को बंद कर दिया जाएगा जो कि स्टेट बैंक में फिक्स डिपॉजिट ब्याज दरों में सबसे ज्यादा ब्याज उपलब्ध कराता था।