नेपाल सरकार ने कहा है कि पड़ोसी देशों के साथ खुली सीमाएं देश के लिए सुरक्षा और कानून व्यवस्था की समस्याओं का कारण बन रही हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चुनौती
नेपाल की गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सरोकार और समन्वय समिति – नेपाल संसद के ऊपरी सदन की एक समिति, जो राष्ट्रीय मुद्दों का ध्यान रखती है और सरकार के साथ समन्वय करती है – को पत्र लिखकर कहा कि पड़ोसी देशों के साथ खुली हुई सीमाएं राष्ट्रीय ‘सुरक्षा’ के लिए एक चुनौती बन गई हैं, और कई बार यह कानून और व्यवस्था की समस्याओं का कारण बन रही है।
लंबी और खुली सीमाएं
समिति की सचिव सीता काफ्ले वागले ने सोमवार को गृह मंत्रालय के पत्र को पढ़कर कहा कि नेपाल अपने दो पड़ोसी – भारत और चीन – के साथ लंबी और खुली सीमाएं उसकी सुरक्षा के लिए एक चुनौती बन गई हैं।
नेपाल भारत के साथ 1,850 किमी की सीमा बांटता है, जहां दोनों ओर के नागरिकों के लिए यात्रा प्रतिबंधों का कोई स्कोप नहीं है। वहीं, यह चीन के साथ लगभग 1,400 किमी की सीमा बांटता है, जहां गतिविधियों का नियमन होता है।
मानव और नशीली दवाओं की तस्करी
पत्र में कहा गया है कि खुली सीमा मानव और नशीली दवाओं की तस्करी, हथियारों की स्मगलिंग और भगोड़े अपराधियों को सीमा पार करके नेपाल में शरण लेने में योगदान दे रही है। फिर भी, गृह मंत्रालय के पत्र ने भारत के साथ सीमा को नियमित करने की किसी योजना के बारे में कोई संकेत नहीं दिया।
महत्वपूर्ण जानकारी:
प्रमुख बिंदु | विवरण |
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नेपाल की सीमाएं | भारत के साथ 1,850 किमी, चीन के साथ 1,400 किमी |
सीमा की चुनौतियां | मानव और नशीली दवाओं की तस्करी, हथियारों की स्मगलिंग, भगोड़े अपराधियों का आश्रय |
नियमन की योजना | गृह मंत्रालय ने भारत के साथ सीमा को नियमित करने के बारे में कोई सूचना नहीं दी |