देश की पहली स्लीपर वर्जन वाली वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Sleeper Train) शीघ्र ही चालू हो सकती है। इस ट्रेन का प्रोटोटाइप इंटिग्रेल कोच फैक्ट्री (ICF) में तैयार हो रहा है। ऐसे में, सूत्रों की मानें तो पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन मुंबई-दिल्ली रूट पर चलाई जा सकती है।
मिशन रफ्तार
मुंबई से दिल्ली के बीच यात्रा का समय 16 घंटे से घटाकर 12 घंटे तक लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस मिशन का नाम ‘मिशन रफ्तार’ है और इसको 2017-18 में मंजूरी मिली थी। इसके तहत, ट्रैक को मजबूत करने, ब्रिज को सुदृढ़ करने, ओएचई का मॉर्डनाइजेशन करने, पूरे रूट पर कवच प्रणाली स्थापित करने और पटरियों के दोनों ओर फेंसिंग करने का काम किया जा रहा है। इसका मकसद है पूरे रूट को 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के योग्य बनाना।
कहा तक हुआ काम
मिशन रफ्तार के अंतर्गत, मुंबई सेंट्रल से नागदा के बीच की 694 किमी और नागदा से मथुरा तक की 545 किमी पर काम जारी है। बई सेंट्रल से नागदा के बीच 694 किमी का काम जारी है। पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में मुंबई सेंट्रल से नागदा के अलावा करीब 100 किमी का काम वडोदरा से अहमदाबाद के बीच भी है। इस पूरे काम के लिए 3,227 रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
195 किमी तक प्रोटेक्शन वॉल बनानी थी, इसमें से 30 किमी काम पूरा हो चुका है। मैटल बेरियर फेंसिंग मुंबई से अहमदाबाद तक 570 किमी में से 474 किमी का काम हो गया। इसके अलावा नागदा से मथुरा तक पश्चिम मध्य रेलवे 545 किमी का काम कर रही है। इसके लिए 2,664 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। मथुरा से पलवल 82 किमी का काम उत्तर मध्य रेलवे और पलवल से दिल्ली के बीच 57 किमी का काम उत्तर रेलवे कर रही है।
वंदे भारत एक्सप्रेस | पहली स्लीपर वर्जन वाली वंदे भारत एक्सप्रेस जल्द चलेगी। प्रोटोटाइप ICF में तैयार हो रहा है। इसकी संभावना है की यह मुंबई-दिल्ली रूट पर चलेगी। |
मिशन रफ्तार | मुंबई से दिल्ली के बीच यात्रा का समय 16 घंटे से घटाकर 12 घंटे तक लाने की परियोजना। 2017-18 में मंजूरी मिली थी। मुंबई और दिल्ली के बीच ट्रैक को मजबूत बनाने और अन्य सुधारों का काम चल रहा है। |
प्रोग्रेस रिपोर्ट | मुंबई सेंट्रल से नागदा के बीच 694 किमी का काम जारी है। इस पूरे काम के लिए 3,227 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अन्य आवश्यक काम भी चल रहे हैं। |
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन | ICF ने 86 वंदे भारत ट्रेनें बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है, इनमें से 9 ट्रेनें स्लीपर वर्जन की होंगी। रेलवे अगले चार वर्षों में कुल 400 वंदे भारत ट्रेनें चलाना चाहती है। |