कई दिनों की बेचैनी भरी प्रतीक्षा और आंसुओं भरी प्रार्थनाओं के बाद, जिनू लुइस — एक मां जो हाल ही में कुवैत में कानूनी पचड़े में फंस गई थीं — आखिरकार अपने बेटे शानेट शाइजू को अंतिम विदाई देने के लिए घर लौट आईं. यह भावुक क्षण कट्टाप्पना के अस्पताल की मोर्चरी में घटित हुआ, जहां जिनू ने पहली बार अपने बेटे का शव देखा. यह दृश्य देखने वाले हर किसी की आंखें नम हो गईं. शानेट, जो अनक्कारा के वेल्लारा गांव का निवासी था. उसकी पिछले मंगलवार को चेल्लारकोविल के पास एक बाइक दुर्घटना में मौत हो गई थी. उसका शव एक निजी अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया था, क्योंकि परिजन मां के कुवैत से लौटने का इंतजार कर रहे थे. नौकरी घोटाले के चलते जिनू कुवैत में हिरासत में थीं, रविवार शाम को ही भारत लौट सकीं.
अंतिम संस्कार और विदाई
शानेट का अंतिम संस्कार मंगलवार को अनाकारा के ऑलिववेल स्थित सेंट जॉन्स जैकोबाइट चर्च सेमेट्री में किया गया. जब शव को सुबह करीब 10 बजे घर लाया गया, तो बड़ी संख्या में शोकाकुल लोग अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठे हुए.
नौकरी घोटाले के बाद कुवैत में हिरासत
जिनू लुइस करीब ढाई महीने पहले घरेलू काम के लिए कुवैत गई थीं. हालांकि, वहां उन्हें कठोर काम के हालातों का सामना करना पड़ा और वादा किया गया वेतन भी नहीं दिया गया. उनकी सेहत तेजी से बिगड़ने लगी. जब उन्होंने एजेंसी से शिकायत की, तो उन्हें ग़ैरकानूनी रूप से एक अन्य स्थान पर हिरासत में रख लिया गया.
देर से वापसी की वजह
जब जिनू लुइस पिछले सोमवार को भारत लौटने की कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ही रही थीं, तभी अचानक कोविड-19 प्रतिबंधों और क्षेत्र में उत्पन्न हुए युद्ध जैसे हालात के कारण उनकी यात्रा विलंबित हो गई. उनकी वापसी केवल केरल सरकार, स्थानीय सांसदों, कुवैत मलयाली एसोसिएशन, और अनाकारा के प्रवासी समुदाय के संयुक्त प्रयासों से ही संभव हो सकी.
मां की वापसी और घर का माहौल
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वह रविवार सुबह 11 बजे नेदुंबस्सेरी एयरपोर्ट (कोच्चि) पर उतरीं और दोपहर 4 बजे तक अनाकारा पहुंचीं.
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घर पहुंचने पर पूरा माहौल शोक से भरा हुआ था.
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शानेट के पिता श्यजू और उसके दोस्त एलन के पिता शिबु (जो उसी दुर्घटना में मारे गए), दोनों आंगन में गहरी पीड़ा में डूबे बैठे थे— इस असहनीय क्षति को समझने की कोशिश करते हुए.




