पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बड़ी संख्या में आधार कार्डों को कथित रूप से निष्क्रिय किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में, ममता बनर्जी ने आधार कार्ड अचानक निष्क्रिय होने के कारणों को जानने की इच्छा जताई।
ममता बनर्जी ने क्या आरोप लगाए हैं?
एक सोशल मीडिया पोस्ट में पत्र को साझा करते हुए, मुख्यमंत्री बनर्जी ने निष्क्रिय करने के इस कदम की निंदा की। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निशाना बना रही है। बनर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि, “हम सभी भारत के नागरिक हैं। आधार कार्ड हो या न हो, सभी पश्चिम बंगाल के निवासी राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।”
I vehemently condemn the reckless deactivation of Aadhaar cards, particularly targeting SC, ST and OBC communities in West Bengal.
The Centre's unilateral decision to deactivate Aadhaar cards without any prior investigation or consultation with the State Govt. is a sinister plot… pic.twitter.com/iXttP9Uako
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) February 19, 2024
एनआरसी से जोड़ रहीं हैं मामला
बनर्जी यह भी इंगित कर रही हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार लोकसभा चुनाव से पहले जानबूझकर राज्य में चुनिंदा लोगों के आधार कार्ड निष्क्रिय कर रही है। वह NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) को लागू करने की शुरुआत के रूप में इसे देखती हैं।
आधार कार्ड क्यों है ज़रूरी?
आधार कार्ड भारत में सबसे महत्वपूर्ण पहचान दस्तावेजों में से एक बन गया है। यह सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने, बैंक खाते खोलने और कई अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए अनिवार्य हो चुका है।
चुनावी राजनीति या वास्तविक चिंता?
क्या ममता बनर्जी के आरोपों के पीछे राजनीतिक मंशा है या वास्तव में बंगाल में आधार कार्ड्स को बड़े पैमाने पर निष्क्रिय करने की साजिश है? इस महत्वपूर्ण मुद्दे के सामने आने से चुनावी माहौल और भी गर्माने की संभावना है।