अबूधबी में सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए फ़ेडरल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अपील ख़ारिज कर दिया. एक एशिया के 34 वर्षीय कामगार को aatanki गतिविधि के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया.
अक्सर मुस्लिम देशों के बारे में यह ख़बर फैलायी जाती हैं की यहाँ हिंदू या अन्य धर्मों की आज़ादी नही हैं या उन्हें तंग किया जाता हैं. आज की ख़बर UAE के अबू धाबी की हक़ीक़त आपको दिखाएगी.
एक प्रवासी व्यक्ति ने UAE स्थित एक पूजा स्थल को आग लगाया, और साथ ही जान बुझ कर दिया और अन्य पूजा सामग्री को बर्बाद किया, कैमेरे को तोड़ा, इस जुर्म के एवज़ में UAE की सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी कामगार को 10 साल की जेल और पैसे के रूप में फ़ाइन दोनो लगाया हैं, साथ ही आदेश दिया हैं की सज़ा पूरी होने पर देश से बाहर निकाल दिया जाए.
इसके साथ ही यह फ़ैसले को अंतिम करार दिया गया हैं. UAE कहता हैं की हम सभी धर्मों का समान आदर करते हैं और सबके लिए क़ानून एक प्रकार हैं. सोशल मीडिया पर ग़लत जानकारी फैलाने के लिए भी UAE में शख़्त क़ानून हैं और पुलिस विभाग के द्वारा निपटने के लिए पूरी सतर्कता बरती जाती हैं.
The State Security Chamber at the Federal Supreme Court on Monday turned down an appeal filed by M.A.A.S, a 34-year-old Asian man accused of acts of terrorism.
The court upheld the ruling of the Abu Dhabi Federal Court of Appeal to condemn him to a 10-year imprisonment term and to deport him from the country after serving the jail sentence and paying the legal fees.
The State Security Prosecution had accused the aforementioned of intentionally setting fire to a place of worship with the purpose of terrorism in addition to intentionally destroying a number of lamps and surveillance cameras owned by another worshiping place.
Accordingly, the first judgment is now irrevocable and final.
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