बीते दिनों ही इजरायल ने कतर पर हमला किया था। ऐसे में अब सवाल उठता है कि अमेरिका का NATO सहयोगी तुर्की इज़रायल का अगला लक्ष्य बन सकता है। हालांकि कतर और तुर्की के बीच कई समानतायें हैं, जो तुर्की पर इज़रायल के हमले को पूरी तरह असंभव नहीं बनातीं, लेकिन कई कारक विशेषकर इज़राइल की तुर्की पर गहरी निर्भरता भविष्य में किसी हमले को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में हमास के नेताओं पर इज़रायल का हमला उसकी लगभग दो साल लंबी सैन्य अभियान की एक और वृद्धि का संकेत है, जो अब ईरान, सीरिया, लेबनान, यमन, इराक, ट्यूनिस और कतर तक फैल चुका है। इस दौरान गाजा में मानवतावादी संकट और वेस्ट बैंक में बस्ती विस्तार जारी रहा।
हालांकि कतर पर हमला पिछले दो सालों में इज़रायल द्वारा अपनाए गए बढ़ते सैन्य रुख का हिस्सा था, यह इस मायने में एक असामान्य कदम था कि इस हमले का लक्ष्य पहले “अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षित” माना जाता था।
इजरायल-कतर संबंध
इराक़ के विपरीत बात की जायें तो इज़रायल और कतर के संबंध कटु नहीं हैं। दोहा ने समय-समय पर गैर-आधिकारिक संवाद और व्यापार चैनल बनाए रखे हैं और हमास और इज़राइल के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई है, जो पिछले दो सालों में अहम साबित हुई।
कतर की आधुनिक सेना, अमेरिका का विशाल सैन्य ठिकाना (11,000 सैनिक) और अत्याधुनिक अमेरिकी हवाई रक्षा प्रणाली हैं। इसके अलावा, कतर अमेरिका का मुख्य गैर-NATO सहयोगी है। बावजूद इसके, इज़रायल ने कतर की संप्रभुता की अनदेखी कर हमला किया।
क्या तुर्की हो सकता है अगला लक्ष्य
कतर और तुर्की के बीच कई समानतायें हैं जैसे कि दोनों देशों के हमास के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं और दोनों ने संगठन के नेताओं को आश्रय दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रैजेप तैय्यिप एर्दोग़ान ने हमास नेताओं से बार-बार मुलाकात की है और उन्हें “मुक्ति संगठन” कहा है।
इज़रायल के रणनीतिक विश्लेषकों ने तुर्की को “रणनीतिक खतरा” मानना शुरू कर दिया है, विशेषकर ईस्टर्न मेडिटेरेनियन और सीरिया तथा गाजा में तुर्की के प्रभाव को लेकर।
NATO सदस्यता और निवारक प्रभाव
तुर्की की NATO सदस्यता अक्सर यह तर्क प्रस्तुत करती है कि किसी भी हमले पर अनुच्छेद 5 लागू हो सकता है, जिससे पूरे गठबंधन को तुर्की की रक्षा करनी होगी। हालांकि, अनुच्छेद 5 के तहत सभी सदस्य बल प्रयोग के लिए बाध्य नहीं हैं; केवल आवश्यक कार्रवाई करने का विकल्प है, जिसमें सैन्य उपाय या राजनीतिक समर्थन शामिल हो सकते हैं।
तुर्की के लिए एक सबक यह भी है कि NATO की सामूहिक रक्षा गारंटी नहीं देती। 2012 में, जब सीरिया ने तुर्की का एक सैन्य विमान गिराया, तुर्की ने अनुच्छेद 5 लागू करने के बजाय अनुच्छेद 4 पर परामर्श लिया।
तुर्की की सैन्य और आर्थिक शक्ति
तुर्की की सैन्य क्षमतायें कतर की तुलना में बहुत अधिक हैं। इज़रायल पर हमला होने पर, तुर्की स्वदेशी ड्रोन और अमेरिकी विमानों के माध्यम से सैन्य निवारक प्रतिक्रिया कर सकता है। इसके अलावा, तुर्की सीरिया में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इज़राइल की सुरक्षा रणनीति को चुनौती दे सकता है।
गैर-सैन्य निवारक उपाय
तुर्की का सबसे प्रभावी निवारक हथियार इज़रायल को ईंधन आपूर्ति रोकना भी है। इज़रायल, अज़रबैजान से तुर्की के सैयहान पोर्ट के माध्यम से तेल प्राप्त करता है और तुर्की इस आपूर्ति को रोककर इज़रायल की अर्थव्यवस्था और सैन्य संचालन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
निष्कर्ष
आज तुर्की के पास वास्तविक और महत्वपूर्ण निवारक विकल्प हैं। इसके बावजूद, इज़रायल की नेतृत्त्व टीम विशेषकर नेटान्याहू के तहत अतीत में अचानक और अविवेकी कदम उठाने की क्षमता दिखा चुकी है, जैसे ईरान के खिलाफ युद्ध और हालिया कतर पर हमला, जो दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के लिए लाभकारी नहीं थे।




