अजमान फेडरल अपीलीय अदालत ने मानव तस्करी, यौन शोषण, ग़ैरक़ानूनी हिरासत और देह व्यापार को बढ़ावा देने जैसे गंभीर आरोपों में फंसे एक एशियाई व्यक्ति को 28 मई 2025 को सभी आरोपों से बरी कर दिया. यह फैसला जज हामिद अली मुसबह अल मुहेरी, सुल्तान खलीफा बिन बख़ीत अल मतरोशी और अब्दुल नासिर अहमद अब्दुल क़ादिर अल मुनूफ़ी की पीठ ने सुनाया.
यह निर्णय संघीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा मूल दोषसिद्धि को पलटने के बाद आया, जिसमें अदालत ने माना कि मामले में पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे और आरोपी का अपराधों से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया. जजों की पीठ ने आरोपी की तत्काल रिहाई का आदेश देते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि आपराधिक दोषसिद्धि केवल संदेह के आधार पर नहीं, बल्कि ठोस और सुनिश्चित प्रमाणों पर आधारित होनी चाहिए.
एशियाई महिला के अपहरण और यौन शोषण के आरोप में आरोपी को हुई थी सज़ा
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब अजमान क्रिमिनल कोर्ट ने एक एशियाई व्यक्ति को एक वर्ष की कारावास और देश निकाले (deportation) की सज़ा सुनाई थी. उस पर आरोप था कि उसने एक एशियाई महिला, जिसे केस दस्तावेज़ों में K.K. के नाम से पहचाना गया है, का अपहरण और यौन शोषण किया था. यह मामला गंभीर आपराधिक आरोपों से जुड़ा था, जिसमें मानव तस्करी, यौन शोषण, अवैध हिरासत और देह व्यापार को बढ़ावा देने जैसे अपराध शामिल थे. हालांकि, बाद में संघीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस दोषसिद्धि को पलट दिया गया, यह कहते हुए कि सबूत अपर्याप्त थे और आरोपी के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं था. अब, अजमान फेडरल अपीलीय अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के आधार पर आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया और उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया.
पीड़िता की गवाही:
पर्यटक वीज़ा पर UAE आई महिला ने अपहरण और यौन शोषण के आरोप लगाए
मामले में पीड़िता K.K., जो पर्यटक वीज़ा पर यूएई आई थीं, ने कोर्ट में गवाही दी कि:
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रस अल खैमा में टैक्सी का इंतज़ार करते समय एक कार उनके पास आकर रुकी और ड्राइवर ने उन्हें पास की एक दुकान तक छोड़ने का प्रस्ताव दिया.
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विश्वास में आकर वह गाड़ी में बैठ गईं, लेकिन उसके बाद उन्हें जबरन काबू में लिया गया, आंखों पर पट्टी बांधी गई, और अजमान ले जाया गया.
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अगले कई दिनों तक, उन्हें तीन अलग-अलग अपार्टमेंट्स में बंधक बनाकर रखा गया, पीटा गया और देह व्यापार के लिए मजबूर किया गया.
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पीड़िता के अनुसार, उन्हें 5,000 दिरहम में एक एशियाई व्यक्ति को “बेच” दिया गया, जिसने उनसे कहा कि वह यह रकम वेश्या के रूप में काम कर चुका सकती हैं.
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प्रति ग्राहक Dh50 की दर तय की गई, जिसमें से पीड़िता को सिर्फ Dh25 ही मिलते थे.
बहन को कॉल ने बदली पीड़िता की किस्मत
K.K. की पीड़ा का अंत तब हुआ जब उन्होंने एक इमारत के सुरक्षा गार्ड की मदद से अपनी बहन को संपर्क किया.
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यह कॉल ही पूरे मामले में निर्णायक मोड़ साबित हुई.
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बहन को मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए छापा मारा,
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जिसके परिणामस्वरूप मानव तस्करी और यौन शोषण से जुड़े कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया.
शुरुआत में, आरोपी को अन्य संदिग्धों के साथ दोषी ठहराया गया था, लेकिन अपील की प्रक्रिया के दौरान कई महत्वपूर्ण कमजोरियां सामने आईं, जिनके आधार पर उसे बरी कर दिया गया.
प्रमुख तथ्य जो फैसले को प्रभावित करने वाले साबित हुए:
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पीड़िता K.K. ने गवाही में स्पष्ट रूप से कहा कि वह आरोपी को पहचानती तक नहीं थीं और पहली बार उन्हें कोर्ट में देखा था.
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अपहरण या बंधक बनाए जाने की घटनास्थलों पर आरोपी की मौजूदगी का कोई प्रमाण नहीं मिला.
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अन्य गिरफ्तार आरोपियों ने भी आरोपी का नाम नहीं लिया, यानी किसी ने उसे अपराध में शामिल नहीं बताया.
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पुलिस रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख था कि आरोपी छापेमारी के दौरान मौके पर मौजूद नहीं था.
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उससे जुड़ा कोई भौतिक प्रमाण (जैसे DNA, फिंगरप्रिंट, डिजिटल लिंक आदि) भी बरामद नहीं हुआ.
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने माना कि सिर्फ संदेह के आधार पर सज़ा नहीं दी जा सकती, और आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.