डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की हालिया टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। नवारो ने भारत की रूस से तेल खरीद पर सवाल उठाते हुए कहा कि “भारत क्रेमलिन का सिर्फ एक लॉन्ड्रोमैट है” और यह भी आरोप लगाया कि “ब्राह्मण भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।”
उन्होंने फॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “महान नेता” बताते हुए यह सवाल उठाया कि “दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र रूस और चीन के साथ क्यों खड़ा है।” नवारो की इस टिप्पणी पर भारत के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। शिवसेना (UBT) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे उनकी “बुढ़ापे में आए गुस्से का नतीजा” करार दिया और कहा कि किसी खास जाति का जिक्र कर राजनीतिक तर्क गढ़ना “शर्मनाक और खतरनाक” है।
वहीं तृणमूल कांग्रेस की नेता सागरिका घोष और साकेत गोखले ने समझाया कि अमेरिका में “ब्राह्मण” शब्द का प्रयोग अमीर और प्रभावशाली तबके के लिए किया जाता है, जिसे “बॉस्टन ब्राह्मिन” कहा जाता था। उनका कहना था कि नवारो की टिप्पणी को भारत की जातीय पृष्ठभूमि में देखने के बजाय अमेरिकी सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में समझना चाहिए।




