भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिए अच्छे निवेश करना आवश्यक है। बैंक खाते की जरूरत हर किसी को होती है, लेकिन उनसे अधिक लाभ अन्य निवेशक प्लानों में संभव होता है। यहाँ स्वीप-इन-एफडी का महत्व आता है।
स्वीप-इन-एफडी: बेहतर निवेश विकल्प
स्वीप-इन-एफडी में ग्राहक को ऑटो-स्वीप की सुविधा मिलती है, जिसमें आप अपने सेविंग अकाउंट को इस एफडी में ट्रांसफर करवा सकते हैं। इससे आपको बैंक की तुलना में अधिक ब्याज दर मिलती है, और आप इसे अपनी सुविधानुसार कस्टमाइज भी कर सकते हैं।
कैसे काम करती है ऑटो स्वीप-इन-एफडी (Auto Sweep In) ?
ग्राहक अपने अकाउंट को एक तय सीमा के लिए एफडी में बदल सकते हैं। जैसे ही बैंक अकाउंट में एक तय सीमा से अधिक धनराशि होती है, वो एफडी में स्वचालित रूप से ट्रांसफर हो जाती है।
स्वीप-इन-एफडी के लाभ
स्वीप-इन-एफडी का मुख्य लाभ यह है कि इसमें आपको सेविंग अकाउंट के साथ करंट अकाउंट के बैलेंस के साथ ही एफडी पर भी ब्याज मिलता है। इसका उपयोग आप इमरजेंसी के समय या सेविंग अकाउंट के शॉर्टफॉल के लिए भी कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी
विषय | जानकारी |
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स्वीप-इन-एफडी क्या है? | ग्राहक को ऑटो-स्वीप की सुविधा मिलती है, जिसमें उनके सेविंग अकाउंट का धन स्वचालित रूप से एफडी में स्थानांतरित होता है। |
लाभ | स्वीप-इन-एफडी का लाभ दोहरी ब्याज दर है, जिसमें सेविंग अकाउंट और एफडी दोनों पर ब्याज मिलता है। |
सावधानियाँ | खाते में न्यूनतम शेष धन बनाए रखें। अगर आप इसे अवधि से पहले तोड़ देते हैं, तो बैंक आपसे पेनाल्टी चार्ज करेगा। |
अनुशंसा | रोजमर्रा के खर्चों के लिए स्वीप-इन-एफडी का उपयोग न करें। इससे टैक्स लायबिलिटी की गणना में कठिनाई हो सकती है। |