देश की टेक्नोलॉजी राजधानी कही जाने वाली बेंगलुरु में एक शर्मनाक और डरावना मामला सामने आया है। एक 18 साल के छात्र के साथ टैक्सी ड्राइवर ने जबरदस्ती वसूली की और पुलिस की भूमिका भी बेहद निराशाजनक रही।
घटना बीते रात की है। मृणालिनी प्रियदर्शिनी के छोटे भाई अंशुल (बदला हुआ नाम) की फ्लाइट रात 12 बजे के करीब बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी। देर रात होने के कारण उसने ओला, उबर और रैपिडो जैसी ऐप्स से टैक्सी बुक करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन कोई कैब नहीं मिली। मजबूरन उसने एयरपोर्ट टैक्सी ली, जो करीब ₹800 किराए पर तय हुई।
जैसे ही वह कैब में बैठा, ड्राइवर ने पूछा – “स्थानीय हो क्या?”
नकारात्मक जवाब सुनते ही ड्राइवर ने चालाकी से छोटा 19 किलोमीटर का रास्ता छोड़कर 24 किलोमीटर लंबा रास्ता पकड़ लिया। रास्ते में सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी और छात्र को धमकाने लगा। उसने सीधे कहा –
“₹3,000 दो वरना तुम्हें अपने दोस्तों के अड्डे पर ले जाऊंगा, फिर वहाँ तेरे साथ क्या होगा, सोच भी नहीं सकता।”
डरा-सहमा छात्र किसी तरह हिम्मत करके पास में पेट्रोलिंग कर रही पुलिस के दो स्कूटरों को देखकर उनके पास भागा और पूरी कहानी बताई। लेकिन पुलिस ने भी मदद करने की बजाय कहा कि वह ड्राइवर के साथ जाकर थाने में शिकायत करे। छात्र ने कई बार कहा कि वह ड्राइवर के साथ सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा, लेकिन पुलिसकर्मी उसे वहीं छोड़कर चले गए।
आखिरकार, छात्र को डर के मारे ड्राइवर को लगभग ₹3000 देने पड़े। पैसे लेकर ड्राइवर ने उसे उसके पीजी तक छोड़ तो दिया, लेकिन वो मानसिक रूप से काफी डरा और परेशान हो गया।
इस घटना के बाद मृणालिनी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर बेंगलुरु पुलिस और टैक्सी माफिया के खिलाफ नाराजगी जताई। उन्होंने लिखा —
“एक 18 साल के लड़के को पुलिस बीच सड़क पर गुंडे के हवाले छोड़कर चली गई। क्या यही हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था है?”
फिलहाल छात्र सुरक्षित है, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
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देर रात सफर करने वालों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
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टैक्सी ड्राइवरों की गुंडागर्दी पर कब लगेगी लगाम?
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और सबसे बड़ा सवाल — क्या बेंगलुरु पुलिस को जवाबदेह ठहराया जाएगा?