भारत का बिहार राज्य जो भारत के सबसे बड़े और गरीब राज्य में से एक हैं, में बेरोजगारी ने नया चरम सीमा प्राप्त कर लिया. आगामी चुनाव से ठीक पहले आए बेरोजगारी के आंकड़ों ने बिहार में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर से दोगुना दर हासिल किया है.
मंगलवार को जारी किए गए बेरोजगारी के ऊपर सरकारी ताजातरीन आंकड़े ने बताया कि बिहार राज्य में उद्योग और रोजगार को प्रमुखता से ना लेने के वजह से लाखों की संख्या में लोग मजदूरी करने को मजबूर थे जिस वजह से वे दूसरे राज्यों में पलायन कर कार्य कर रहे थे. पूरे राष्ट्र में कोरोनावायरस के मध्य नजर जब लॉकडाउन लगाया गया तब भारी संख्या में मजदूर बिहार वापस आने लगे. और अब बिहार में राष्ट्रीय औसत से दोगुना बेरोजगार की संख्या पहुंच गई हैं.
Unemployment in Bihar rose by 3 percentage points to 10.2% during the year ended June 2019, government data showed, even as the country’s overall unemployment slowed to 5.8%, compared with 6.1% a year earlier.
यहां पर रीजनल पार्टी जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर देश के तीसरे सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य को चला रहे हैं. और इस अक्टूबर में यहां पर चुनाव होने की उम्मीद है.
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह भाजपा के इलेक्शन कैंपेन में यह दावा किया था कि बिहार में विकास की बहार बही है. और गठबंधन से बिहार में विकास की रफ्तार तेज हुई हैं.
बिहार की अर्थव्यवस्था ज्यादातर कृषि पर आधारित है और कम इंडस्ट्री होने के वजह से लाखों की संख्या में यहां के लोग मजदूरी का जीवन यापन करते हैं और इसके लिए वह देश के दूसरे भागों में काम की तलाश में जाते हैं.
सरकार ने महीने के अनुसार रोजगार के डाटा को जारी करना अभी बंद कर रखा है और कई अर्थशास्त्रियों ने शायद की है कि भारत का बेरोजगार और रोजगार का डाटा आउट ऑफ डेट है और इसे जानबूझकर ऐसा रखा जा रहा है.GulfHindi.com