बिहार के बक्सर में फ्लोटिंग (तैरते हुए) हाउस का एक एक्सपेरिमेंटल प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित और स्थायी आश्रय प्रदान करना है। इस प्रोजेक्ट का प्रोटोटाइप बना दिया गया है, जिसमें अब तक चार लाख की लागत आई है।
इन तैरते हुए घरों की विशेषताएं और सुविधाएं बहुत ही अद्वितीय हैं। इनमें तीन कमरे, वैदिक रसोईघर, और हरित शौचालय बनाये जा रहे हैं। इन घरों का बेस प्लेटफॉर्म पुराने प्लास्टिक ड्रामों से बनाया गया है, जो कि पानी की सतह पर तैरने के लिए उपयोगी होता है।
यह प्रोजेक्ट स्थानीय ग्रामीण युवकों की सहायता से चलाया जा रहा है, जो इसके निर्माण में सहयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही, इस प्रोजेक्ट में विभिन्न देशों के वॉलेंटियर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे कि वाटर स्टूडियो, मिलोफा फाउंडेशन ने भी अपना सहयोग दिया है।
इस प्रोजेक्ट का ट्रायल पहले आरा में किया जा चुका है और अब बक्सर में फाइनल ट्रायल हो रहा है। ये घर बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी आश्रय के रूप में कार्य करेंगे।
यह फ्लोटिंग हाउस जीरो कचरा और जीरो कार्बन उत्सर्जन का होगा। इसमें हवासौर ऊर्जा और लहरों से बिजली बनाने की तकनीक भी लगाई जाएगी। इसमें प्राकृतिक खेती और पशुपालन की भी सुविधा होगी।
खर्च कम करने की योजना भी है, और यहाँ उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट की लागत को 2 लाख तक कम कर दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की सफलता के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है।