सरकार की तरफ से उन्हें नौकरी देकर उनकी मदद की जाती है
कई कामगारों को वास्तव में मदद की जरूरत होती है और सरकार की तरफ से उन्हें नौकरी देकर उनकी मदद की जाती है। बिहार में भी मनरेगा में कामगारों को रोजगार दिया जाता है लेकिन इसमें किस कदर फर्जीवाड़ा होता है यह बात किसी से छुपी नहीं है। इसी फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए एक कदम उठाया जाने वाला है।
सरकार इस फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है
ऐसे खबरें आम हैं कि लोग मनरेगा मजदूर के नाम पर पैसा उठाते हैं। इसी पर लगाम लगाने की तैयारी सरकार ने कर ली है। बायोमैट्रिक हाजिरी की सेवा को शुरू कर सरकार इस फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। करीब 92.72 लाख सक्रिय मनरेगा श्रमिकों के लिए यह नियम शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर ली गई है। कहा गया है कि पंचायत रोजगार सेवक अपने एंड्रायड मोबाइल फोन में उपलब्ध बायोमीट्रिक एप के माध्यम से मजदूरों की हाजिरी दर्ज करेंगे।
ऐसा देखने को मिलता है कि कई मजदूर दोहरा भुगतान पाते हैं, जो लोग काम नहीं करते उन्हें भी पेमेंट किया जाता है। पहले चरण में जिनके पास जॉब कार्ड है, उन्हें आधार से जोड़ा जा रहा है। फिर मजदूरों की बायोमीट्रिक हाजिरी की व्यवस्था शुरू की जाएगी ताकि उन्हें पेमेंट मिल सके।