वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में कई बड़े ऐलान किए हैं, जिनका असर शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड निवेशकों, NPS खाताधारकों और मल्टीनेशनल कंपनियों (MNC) में काम करने वाले कर्मचारियों पर पड़ेगा। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, म्यूचुअल फंड खरीदते हैं या आपके पास ESOPs हैं, तो आपको यह बदलाव जरूर जानना चाहिए! आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
कैपिटल गेन टैक्स में बड़ा बदलाव!
शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव किया है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG)
पहले 12 महीने से कम समय में शेयर या म्यूचुअल फंड बेचने पर 15% टैक्स लगता था।
अब इसे बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। यानी, अगर आप एक साल के अंदर कोई स्टॉक बेचते हैं, तो आपको ज्यादा टैक्स देना होगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG)
12 महीने के बाद बेचे गए शेयर या म्यूचुअल फंड पर पहले 10% टैक्स लगता था।
अब इसे बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है।
लेकिन अच्छी खबर यह है कि पहले LTCG पर ₹1 लाख तक की छूट थी, जिसे बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दिया गया है। यानी, छोटे निवेशकों को थोड़ी राहत दी गई है।
प्रॉपर्टी बेचने पर LTCG टैक्स में राहत!
पहले प्रॉपर्टी बेचने पर 20% टैक्स लगता था।
अब इसे घटाकर 12.5% कर दिया गया है।
लेकिन सरकार ने इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा दिया है, जिससे पुरानी प्रॉपर्टी की बिक्री पर टैक्स बढ़ सकता है।
NPS पर ज्यादा लाभ, प्राइवेट सेक्टर वालों के लिए खुशखबरी!
पहले प्राइवेट सेक्टर में NPS (National Pension System) के तहत एम्प्लॉयर के योगदान पर 10% की छूट मिलती थी।
अब इसे 14% कर दिया गया है।
मतलब, अगर आपका एम्प्लॉयर आपकी सैलरी का 14% NPS में निवेश करता है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
इससे रिटायरमेंट फंडिंग को बढ़ावा मिलेगा और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को फायदा होगा।
MNC कंपनियों में काम करने वालों के लिए ESOPs पर छूट!
मल्टीनेशनल कंपनियों (MNCs) में काम करने वाले कर्मचारियों को ESOPs (Employee Stock Ownership Plan) के तहत शेयर मिलते हैं।
पहले अगर ESOPs के तहत 10 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति मिलती थी, तो सरकार को इसकी जानकारी देनी होती थी और नहीं देने पर 10 लाख रुपये की पेनाल्टी लगती थी।
अब यह लिमिट 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी गई है।
यानी, अब 20 लाख तक की ESOPs की रिपोर्टिंग अनिवार्य नहीं होगी।
आखिर इन बदलावों का असर क्या होगा?
निवेशकों पर प्रभाव
- शेयर बाजार के छोटे निवेशकों के लिए LTCG टैक्स छूट की सीमा बढ़ना राहत की खबर है।
- लेकिन STCG टैक्स बढ़ने से शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग करने वालों को नुकसान हो सकता है।
प्रॉपर्टी मालिकों के लिए
- प्रॉपर्टी बेचने वालों को LTCG टैक्स में राहत मिली है, लेकिन इंडेक्सेशन बेनिफिट खत्म होने से पुराने निवेशकों को थोड़ा नुकसान हो सकता है।
प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों के लिए
- NPS में 14% तक एम्प्लॉयर योगदान पर टैक्स छूट से प्राइवेट सेक्टर वालों को ज्यादा फायदा होगा।
MNC कर्मचारियों के लिए
- ESOPs की रिपोर्टिंग लिमिट बढ़ने से विदेशी कंपनियों में काम करने वालों को फायदा होगा।
बजट 2025 में सरकार ने शेयर बाजार के लॉन्ग-टर्म निवेशकों को कुछ राहत दी है, लेकिन शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग को महंगा कर दिया है। NPS और ESOPs पर छूट देकर प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को राहत दी गई है। प्रॉपर्टी के LTCG टैक्स में कमी तो हुई है, लेकिन इंडेक्सेशन हटाने से पुराने निवेशकों को झटका लग सकता है।
तो, अगर आप शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी या NPS में निवेश करते हैं, तो यह बदलाव आपको सीधे प्रभावित करेगा!
आपको ये बदलाव कैसे लगे? क्या आपको लगता है कि ये सही फैसला है? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं!