दिवाली की रात दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण एक बार फिर बढ़ा है। इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन पूरी रात आतिशबाजी ने दिवाली की अगली सुबह, सोमवार को, कई स्थानों से आश्चर्यजनक चित्र सामने आए हैं। इन चित्रों में पूरे शहर में भारी प्रदूषण और धुंध की मोटी परत दिखाई देती है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार गंभीर है। ज्यादातर लोगों की आंखें, सीने और गले में खराश की समस्या बढ़ी है क्योंकि बढ़ी हुई प्रदूषण और जहरीली बनी हुई हवा। दिल्ली और पंजाब सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण की शिकायत की है।
हाल ही में, 4 चौंकाने वाले वायु प्रदूषण रिपोर्ट सामने आए हैं जो बताते हैं कि जहरीली हवा में सांस लेना कितना खतरनाक है। ऐसे में प्रश्न उठता कि सरकार अब तक इस मामले पर क्यों चुप रही है?
इस रिपोर्ट में प्रदूषण से जुड़े पांच अध्ययनों का विश्लेषण किया गया है।
वे बताते हैं कि इस खतरनाक हवा में सांस लेना कितना खतरनाक है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि सरकार इस मामले पर अब तक क्यों चुप रही है?
वायु प्रदूषण पर चार दिलचस्प रिपोर्ट..।
1. दिल्ली में कैंसर से होने वाली मौतें पिछले 18 सालों में साढ़े तीन गुना बढ़ गई हैं, और डॉक्टरों ने इसकी एक वजह प्रदूषण को भी बताया है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के 2012 से 2016 तक के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी दिल्ली में भारत में कैंसर वाले सभी स्थानों में सबसे ज्यादा लोगों की रजिस्ट्री हुई है। इस आंकड़े के अनुसार 0 से 14 साल के बच्चों में कैंसर का प्रतिशत 0.7% से 3.7% |
यह रिपोर्ट बताती है कि बच्चों में वायु प्रदूषण के कारण कैंसर होने का खतरा अधिक होता है क्योंकि वे वयस्कों की तुलना में अधिक सांस लेते हैं और अधिक शारीरिक गतिविधियों करते हैं। साथ ही बच्चे अक्सर जमीन के निकट रहते हैं, जहां प्रदूषक जमा होते हैं।
2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, वातावरण में प्रदूषण की वर्तमान स्थिति वह बड़ों और बच्चों दोनों के लिए बहुत खतरनाक है। दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में प्रदूषण के कारण बीमार हो रहे हैं। फिर भी, इस जहरीली हवा में कई प्रदूषक हैं, जैसे ओजोन (O2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), नाइट्रिक ऑक्साइड (NO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और अन्य। इनमें से प्रत्येक इंसानी शरीर के लिए घातक है। अल्ट्रा फाइन पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (PM2.5) सबसे खतरनाक है। PM 2.5 मोटर गाड़ियों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक गतिविधियों से पटाखे उड़ते हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि इन तत्वों से लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इससे हृदय रोग और अस्थमा भी हो सकते हैं।
3. डाउन टू अर्थ (डीटीई) ने 2018 से 2023 के अक्टूबर तक प्रकाशित 25 अध्ययनों का विश्लेषण करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण भारत के बच्चों पर सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत में नहीं है। वायु प्रदूषण भ्रूण से लेकर बच्चे के स्वास्थ्य तक पर प्रभाव डालता है. डाउन टू अर्थ की इसी रिपोर्ट के अनुसार खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में आई गर्भवती महिलाओं के बच्चों के जन्म के समय उनके वजन में कमी, समय से पहले प्रसव होने और मृत बच्चे का जन्म लेने जैसी दिक्कतें आती है | अल्ट्रा फाइन पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (PM2.5) सबसे खतरनाक है। PM 2.5 मोटर गाड़ियों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक गतिविधियों से पटाखे उड़ते हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि इन तत्वों से लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इससे हृदय रोग और अस्थमा भी हो सकते हैं। डाउन टू अर्थ (डीटीई) ने 2018 से 2023 के अक्टूबर तक प्रकाशित 25 अध्ययनों का विश्लेषण करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण भारत के बच्चों पर सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत में नहीं है।
4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसका नाम है “वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य प्रिस्क्राइबिंग क्लीन एयर”। जिसमें बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों में भारत में जहरीली हवा के कारण सबसे अधिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों की असामयिक मौत हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2016 में वायु प्रदूषण से 101,788 बच्चे मर गए। इन बच्चों की उम्र पांच वर्ष से छोटी थी। यही रिपोर्ट बताती है कि बाहरी वायु प्रदूषण से हर घंटे लगभग सात बच्चे मर जाते हैं, जिनमें से आधे से अधिक लड़कियां हैं। WHO के दिशानिर्देशों से 98 प्रतिशत अधिक असुरक्षित हवा में सांस लेते हैं, लगभग सभी भारतीय बच्चे। अब जानते हैं कि सरकार ने इसपर क्या कदम उठाया है |
दिल्ली की राजधानी में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। केजरीवाल सरकार ने 9 नवंबर से 18 नवंबर तक सभी स्कूलों को छुट्टी दे दी। यानी अब नवंबर में बच्चों को दिसंबर की जगह नवंबर में 10 दिनों की छुट्टी मिलेगी। विंटर ब्रेक इस छुट्टी को सुसज्जित करेगा।
राजधानी और इन मेट्रो शहरों की हालत भी खराब
दिल्ली की राजधानी और अन्य महानगरों में भी प्रदूषण बढ़ा है। कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में भी हवा इतनी बुरी हो गई है कि लोग लगातार बीमार हो रहे हैं। केन्द्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में वायु प्रदूषण सूचकांक 175 पर है। यह आम से लगभग चार गुना अधिक है। लेकिन यह बहुत बुरा नहीं है। मुबंई भारत की आर्थिक राजधानी भी वायु प्रदूषण सूचकांक 125 पर है, जो लगभग सही है। गुरुवार (9 नवंबर) को तमिलनाडु के चेन्नई में AQI सामान्य रूप से 66 पर है।