भारत सरकार ने पीने योग्य पानी की बोतलें और लौ पैदा करने वाले लाइटर के लिए अनिवार्य गुणवत्ता मानदंड जारी किए हैं। इसका उद्देश्य घटिया वस्तुओं के इम्पोर्ट को रोकना और इन प्रोडक्ट्स के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 5 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की। इन गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) के तहत दो वस्तुओं का प्रोडक्शन, सेल/बिजनेस, इम्पोर्ट और स्टॉक तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि उन पर बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) का चिह्न न हो।
कैद और जुर्माना
गैर-बीआईएस सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स का मैन्युफैक्चरिंग, स्टोरेज और सेल प्रतिबंधित है और यह अपराध माना जाएगा। पहली बार की अपराध पर दो साल तक की कैद या कम से कम 2 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। दूसरे और उसके बाद के अपराध के मामले में, जुर्माना न्यूनतम 5 लाख रुपये हो सकता है और अधिकतम माल या वस्तुओं के मूल्य के दस गुना तक हो सकता है।
प्रभाव
डीपीआईआईटी ने बताया कि, क्वालिटी कंट्रोल आदेश को लेकर जारी अधिसूचना की तारीख से छह महीने बाद प्रभावी होंगे। इस कदम का लक्ष्य भारत में गुणवत्ता परिवेश को मजबूत करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य और कंज्यूमर्स की सुरक्षा को बढ़ाना है।
इन नया नियमों के साथ, सरकार ने पिछले महीने 20 रुपये से कम कीमत वाले सिगरेट लाइटर के इम्पोर्ट पर भी प्रतिबंध लगा दिया। ज्यादातर लाइटर की कीमत 5 रुपये प्रति यूनिट से कम है, और इनके बाजार में प्रवेश से रोका जा रहा है।