उत्तराखंड सरकार ने पहली बार पौड़ी गढ़वाल से 1.2 मीट्रिक टन सेब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को निर्यात किए हैं। इसके साथ ही, आगे 8 मीट्रिक टन का समुद्री शिपमेंट भेजने की योजना भी बनाई गई है। अब तक सेब का निर्यात मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से होता रहा है, लेकिन इस बार उत्तराखंड ने अपनी ‘किंग रोअट’ किस्म के ग्रेड-ए सेब के साथ वैश्विक बाजार में कदम रखा है।
एपीडा (APEDA) के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्यात एक ट्रायल शिपमेंट था ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यावसायिक संभावना और व्यवहार्यता का परीक्षण किया जा सके। साथ ही, हरसिल से 8,000 किलो सेब का समुद्री शिपमेंट भी तैयार किया जा रहा है, जिससे किसानों को फायदा होगा, क्योंकि यहां की किस्मों की शेल्फ-लाइफ अधिक होती है।
यह ट्रायल शिपमेंट वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एपीडा की मदद से संभव हुआ। अधिकारियों का कहना है कि इस अनुभव से कोल्ड चेन मैनेजमेंट, पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग और लॉजिस्टिक सिस्टम को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। आगे चलकर निर्यात गंतव्य दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप तक बढ़ाए जाने की संभावना है।
गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने इसे गर्व का क्षण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार न केवल किसानों को उनकी उपज का उचित दाम दिला रही है बल्कि वैश्विक बाजारों के द्वार भी खोल रही है, जिससे किसानों की आय में लगातार वृद्धि होगी। वाणिज्य मंत्रालय के सचिव सुनील बर्थवाल ने भी कहा कि भारत के एग्री-एक्सपोर्ट बास्केट को विविध बनाने और क्षेत्र-विशिष्ट उत्पादों जैसे गढ़वाली सेब को अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं तक पहुंचाना बेहद महत्वपूर्ण है।
एपीडा राज्य के विशिष्ट उत्पादों के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और जीआई टैगिंग की सुविधा भी उपलब्ध करा रहा है, जिससे इनकी पहचान और प्रतिस्पर्धा क्षमता वैश्विक बाजार में और मजबूत होगी। हाल ही में लुलु ग्रुप के साथ एक एमओयू भी साइन हुआ है, जिसके तहत उत्तराखंड के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय रिटेल चेन में एक्सपोर्ट ट्रायल किए जाएंगे।
वित्तीय वर्ष 2024–25 में भारत से एपीडा-शेड्यूल्ड उत्पादों का निर्यात 2.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें उत्तराखंड का योगदान 201 करोड़ रुपये था। अभी तक राज्य मुख्यतः गुड़, कन्फेक्शनरी और ग्वार गम जैसे उत्पादों का निर्यात करता रहा है।
हालांकि, उत्पादन और खेती के क्षेत्र में उत्तराखंड अभी जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से काफी पीछे है। जहां जम्मू-कश्मीर में 17 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है और क्षेत्रफल 1.67 लाख हेक्टेयर है, वहीं हिमाचल में 6.4 लाख मीट्रिक टन उत्पादन 1.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होता है। उत्तराखंड का उत्पादन फिलहाल केवल 65,000 मीट्रिक टन है, जो 26,000 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाता है।
उत्तराखंड की किंग रोअट किस्म अपने कुरकुरे स्वाद, मिठास और टेक्सचर के लिए जानी जाती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह किस्म अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप से आने वाली किस्मों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करती है। बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में परागण (Pollination) की समस्या भी है, क्योंकि अधिकांश बागानों में परागण पौधों (Polliniser) का अनुपात सिफारिश की गई 33.33% से काफी कम है, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होती है।




