UAE और सऊदी अरब में ऑनलाइन गेम खेलने वाले लोगों को ‘इंफो-स्टीलर’ मालवेयर से सतर्क रहने की सलाह दी गई है। Acronis Threat Research Unit (TRU) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, गेमर्स को ऐसे फर्जी गेम्स के ज़रिए फंसाया जा रहा है, जो असल में वायरस होते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, “Baruda Quest, Warstorm Fire और Dire Talon जैसे इंडी गेम्स के बीटा वर्जन की आड़ में गेमर्स को लुभाया जाता है, लेकिन असल में जो फाइल डाउनलोड होती है वो होती है इंफो-स्टीलर मालवेयर – जैसे कि Leet Stealer, RMC Stealer, और Sniffer Stealer।”
मालवेयर क्या करता है?
यह खतरनाक सॉफ्टवेयर आपके सिस्टम में घुसकर:
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लॉगिन पासवर्ड,
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पेमेंट की जानकारी,
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और क्रिप्टो वॉलेट की डिटेल्स चुरा लेता है।
इससे आपका अकाउंट हैक हो सकता है, पैसे जा सकते हैं, या आपको धमकाकर पैसा मांगा जा सकता है।
मिडल ईस्ट की गेमिंग इंडस्ट्री कितनी बड़ी है?
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ऑनलाइन गेमिंग का बाज़ार मिडल ईस्ट में 7 अरब डॉलर (लगभग ₹58,000 करोड़) से भी ज़्यादा का है।
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गेमर्स की संख्या खासकर युवाओं में तेज़ी से बढ़ रही है, और इन्हें नए गेम्स और बीटा वर्जन जल्दी ट्राय करने का शौक होता है।
यह हमला दूसरों से अलग क्यों है?
Acronis के सीनियर रिसर्चर जोसेफ गेगेनी कहते हैं, “यह हमला इसलिए ख़ास है क्योंकि यह बहुत चतुराई से डिज़ाइन किया गया है और ये ऐसे गेमर्स को निशाना बना रहा है जो तकनीकी रूप से काफी समझदार माने जाते हैं।”
उन्होंने बताया कि यह मालवेयर बिलकुल असली गेम कंटेंट की तरह दिखता है, जिससे पहचानना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि यह अधिकतर एंटीवायरस टूल्स से बच निकलता है।
खतरा किसे है?
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कंपनियों के पास तो सुरक्षा होती है, लेकिन आम लोग और गेमर्स ऐसे हमलों के सामने ज्यादा असुरक्षित होते हैं।
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खासकर वो लोग जो जल्दी नए गेम्स या बीटा वर्जन ट्राय करना चाहते हैं।
कैसे बचें इस खतरे से?
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केवल ऑफिशियल वेबसाइट्स या भरोसेमंद सोर्स से ही गेम डाउनलोड करें।
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फ्री स्किन्स, चीट कोड्स या अनजाने बीटा वर्जन से दूर रहें।
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अपने सिस्टम में एंटीवायरस अपडेट रखें।
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टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें।
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पासवर्ड्स मजबूत रखें और बार-बार बदलते रहें।




