GST परिषद की 54वीं मीटिंग में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं, जिनमें एक बड़ा बदलाव कमर्शियल प्रॉपर्टी के किराये पर GST लागू करने को लेकर है। अब दुकानों, फैक्ट्रियों, गोदामों और ऑफिस के किराये पर भी GST लगेगा, भले ही प्रॉपर्टी मालिक के पास GST रजिस्ट्रेशन हो या न हो।
मुख्य बिंदु:
- GST का फॉरवर्ड चार्ज: अगर प्रॉपर्टी मालिक के पास GST रजिस्ट्रेशन है, तो किराये पर GST पहले की तरह फॉरवर्ड चार्ज के तहत लगेगा। इसका मतलब है कि GST की जिम्मेदारी प्रॉपर्टी मालिक की होगी, जिसे किराये पर GST जमा करना होगा।
- रिवर्स चार्ज का नियम: अगर प्रॉपर्टी मालिक के पास GST रजिस्ट्रेशन नहीं है, लेकिन किरायेदार GST में पंजीकृत है, तो अब किरायेदार को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत किराये पर GST जमा करना होगा। इसका फायदा यह है कि किरायेदार को इस GST का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) भी मिलेगा।
- दोनों के पास रजिस्ट्रेशन नहीं है: अगर प्रॉपर्टी मालिक और किरायेदार दोनों के पास GST रजिस्ट्रेशन नहीं है, तो पहले की तरह किराये पर कोई GST नहीं लगेगा।
क्यों लिया गया ये फैसला?
यह देखा गया कि कई बार कमर्शियल प्रॉपर्टी के मालिकों के पास GST रजिस्ट्रेशन नहीं होता था, लेकिन किरायेदार के पास होता था। इससे सरकार को GST का नुकसान हो रहा था, क्योंकि किराये पर GST नहीं मिल पा रहा था। अब इस नए नियम के तहत, किरायेदार पर जिम्मेदारी होगी कि वह GST जमा करे, जिससे सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
क्या बदल जाएगा?
- जिन कमर्शियल प्रॉपर्टी मालिकों के पास GST रजिस्ट्रेशन नहीं है, अब भी किरायेदार को रिवर्स चार्ज के तहत GST जमा करना पड़ेगा।
- यह नया सिस्टम लागू होते ही, किरायेदार अपने ITC का फायदा उठा सकेगा, जिससे उसका बोझ कम होगा।
यह फैसला उन व्यवसायियों और किरायेदारों के लिए अहम है जो कमर्शियल प्रॉपर्टी किराए पर लेते हैं। इससे अब कर की जिम्मेदारी स्पष्ट हो जाएगी और सरकार को भी GST से राजस्व में इजाफा मिलेगा।