Hindenburg Research India Updates. एक बार फिर Hindenburg Research ने बड़ा आरोप लगाया है, और इस बार निशाने पर हैं SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच। Hindenburg ने आरोप लगाया है कि माधबी बुच और उनके पति का गुप्त रूप से उन ऑफशोर फंड्स में हिस्सा था, जो कथित तौर पर अडानी ग्रुप द्वारा फंड्स को गबन करने और स्टॉक की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए गए थे। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
🔍 Hindenburg के आरोप क्या हैं?
- ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी:
- Hindenburg का दावा है कि माधबी बुच और उनके पति ने बर्मूडा और मॉरीशस में स्थित उन फंड्स में हिस्सा लिया था, जिन्हें विनोद अडानी (गौतम अडानी के भाई) द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।
- यह फंड्स कथित तौर पर अडानी ग्रुप द्वारा स्टॉक की कीमतें बढ़ाने और फंड्स को गबन करने के लिए इस्तेमाल किए गए थे।
- SEBI की निष्क्रियता पर सवाल:
- Hindenburg का कहना है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ गंभीर कार्रवाई न करने के पीछे SEBI की चेयरपर्सन का इसी तरह के फंड्स में शामिल होना हो सकता है।
- 2017 में हुई घटनाएं:
- Hindenburg के अनुसार, 2017 में माधबी बुच की नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले, उनके पति ने मॉरीशस-बेस्ड Trident Trust से अनुरोध किया था कि वह अपने नाम से GDOF (Global Dynamic Opportunities Fund) को ऑपरेट करें, ताकि माधबी बुच की नामांकन के समय कोई विवाद न हो।
- Hindenburg की पूर्व की रिपोर्ट:
- जनवरी 2023 में Hindenburg ने अडानी ग्रुप पर “कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी ठगी” का आरोप लगाया था। उनका दावा था कि अडानी ग्रुप ने एक नेटवर्क ऑफशोर कंपनियों का उपयोग करके राजस्व को बढ़ाने और स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करने का प्रयास किया।
🚨 माधबी बुच और धवल बुच का जवाब
माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने Hindenburg के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा कि वे इन आरोपों का जवाब पूरी पारदर्शिता के साथ देंगे और जल्द ही विस्तृत बयान जारी करेंगे।
⚖️ कानूनी और नियामक स्थिति
Hindenburg की इस रिपोर्ट के बाद, SEBI को अब और भी गंभीरता से इस मामले की जांच करनी होगी। हालांकि, पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को अडानी ग्रुप की जांच के लिए निर्देशित किया था, लेकिन कोई गंभीर निष्कर्ष नहीं निकाला गया था।