रूस के विज्ञान और उच्च शिक्षा उपमंत्री कॉनस्टैन्टिन मोगिलेव्स्की ने रूसी विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा के विस्तार की बात कही है। उनका कहना है कि रूस में हिंदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक छात्र हिंदी पढ़ें।
मोगिलेव्स्की ने समझाया कि आज भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और अब अधिकतर भारतीय अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अंग्रेज़ी की बजाय हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे में रूस को भी इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज रूसी युवाओं के पास हिंदी सीखने के पहले से कहीं अधिक अवसर हैं।
सिर्फ मॉस्को में ही MGIMO, RSUH, Moscow State University के Institute of Asian and African Studies और Moscow State Linguistic University जैसे बड़े संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। हिंदी पढ़ने वाले छात्रों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और अब समूहों की संख्या भी पहले से दो से तीन गुना हो गई है। मॉस्को के अलावा सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी और कज़ान फेडरल यूनिवर्सिटी में भी हिंदी सीखने का रुझान बढ़ रहा है।
रूस में भारतीय समुदाय
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रूस में भारतीय समुदाय की अनुमानित संख्या लगभग 14,000 है।
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लगभग 500 भारतीय बिज़नेसमैन वहां रहते हैं, जिनमें से 200 से अधिक मॉस्को में हैं।
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करीब 300 भारतीय कंपनियाँ रूस में पंजीकृत हैं, जो मुख्य रूप से चाय, कॉफी, तंबाकू, दवाइयां, चावल, मसाले, चमड़े के जूते, ग्रेनाइट, आईटी और परिधान का व्यापार करती हैं।
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कुछ भारतीय कंपनियों ने वहां खनन, खाद्य प्रसंस्करण और फ़ार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रों में संयुक्त उद्यम भी शुरू किए हैं।
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लगभग 4,500 भारतीय छात्र रूस के मेडिकल और टेक्निकल संस्थानों में पढ़ रहे हैं। इनमें से करीब 90% छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि बाकी छात्र इंजीनियरिंग, एरोनॉटिकल डिज़ाइन, कंप्यूटर साइंस, ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर और फाइनेंशियल मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे हैं।




