एमसीएलआर की दरों में बढ़ोतरी के साथ बैंकों ने बढ़ाई EMI की भारी मार
आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एमसीएलआर की दरों में बढ़ोतरी की है। एमसीएलआर का सीधा संबंध लोन की ब्याज दरों से होता है, जिससे लोन लेने वाले ग्राहकों को भारी EMI का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर ग्राहकों के लोन चुकाने पर पड़ेगा।
पिछले साल मई से रेपो रेट बढ़ने के कारण लोगों की ईएमआई में इजाफा देखने को मिला है। आरबीआई की ओर से ब्याज दर में वृद्धि रोकने के बाद भी कुछ बैंकों की ओर से लेंडिंग रेट्स में बढ़ोतरी की जा रही हैं।
ताज़ा बढ़ोतरी आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ इंडिया की ओर से गई है। इन बैंकों द्वारा लोन के एमसीएलआर की दरों को बढ़ा दिया गया है। नई ब्याज दरें एक अगस्त से लागू हो गई हैं।
किस बैंक ने कितनी की बढ़ोतरी? आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की ओर से एमसीएलआर की दर को 5 आधार अंक बढ़ा दिया गया है। इस बढ़ोतरी के बाद ओवरनाइट और एक महीने का एमसीएलआर 8.40 प्रतिशत, तीन महीने का एमसीएलआर 8.45 प्रतिशत, छह महीने की 8.80 प्रतिशत और एक साल का एमसीएलआर 8.90 प्रतिशत है।
बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) की ओर से कुछ चुनिंदा अवधि के एमसीएलआर को बढ़ाया गया है। एक साल का एमसीएलआर 8.70 प्रतिशत और तीन साल का एमसीएलआर 8.90 प्रतिशत है। वहीं, ओवरनाइट 7.95 प्रतिशत, एक महीने 8.15 प्रतिशत, तीन महीने 8.30 प्रतिशत, छह महीने 8.50 प्रतिशत है।
क्या होता है MCLR? एमसीएलआर का पूरा नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स है। यह वह दर होती है, जिसके आधार पर बैंक ग्राहकों को लोन देते हैं। इसमें बदलाव का सीधा असर ग्राहकों की ईएमआई पर पड़ता है।
बता दें, आरबीआई की ओर से मई 2022 में ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू किया था। तब से लेकर अब तक आरबीआई रेपो में 2.5 प्रतिशत का इजाफा कर चुका है। हालांकि, पिछले दो बार की मौद्रिक कमेटी की बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
इम्पोर्टेंट इनफॉर्मेशन टेबल:
बैंक | ओवरनाइट (%) | 1 महीना (%) | 3 महीना (%) | 6 महीना (%) | 1 साल (%) | 3 साल (%) |
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आईसीआईसीआई बैंक | 8.40 | 8.45 | 8.80 | 8.90 | 8.90 | — |
बैंक ऑफ इंडिया | 7.95 | 8.15 | 8.30 | 8.50 | 8.70 | 8.90 |
परिणामस्वरूप लाभ: बैंकों द्वारा MCLR की दरों में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप ग्राहकों को ईएमआई में इजाफा हो सकता है। यह उन ग्राहकों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो लोन के ईएमआई को अच्छे से संभाल सकते हैं और लंबी अवधि तक लोन का भुगतान करने की क्षमता रखते हैं। इससे वित्तीय स्थिति में सुधार होता है और बैंक के लिए लोन वितरण के प्रति रुचि बढ़ती है। यह बैंकों को बढ़ते रेपो रेट के परिणामस्वरूप आरबीआई की ब्याज दरों में बदलाव को संभालने में मदद करता है।
ग्राहकों को यह सलाह दी जाती है कि वे इस बदलाव के प्रति अलर्ट रहें और अपने लोन की समयबद्धता का ध्यान रखें। यदि वे ईएमआई में अधिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, तो वे बैंक के साथ संपर्क करके संभावित समाधान की तलाश कर सकते हैं.