इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुछ लोगों द्वारा किए गए बड़े वित्तीय लेनदेन (financial transactions) पर नज़र गड़ा दी है। विभाग का दावा है कि कई लोगों ने सही आयकर नहीं चुकाया है।
10 मार्च 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में आयकर विभाग ने कहा, “चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक चुकाए गए करों के विश्लेषण के आधार पर, विभाग ने ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जहां वित्त वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 2024-25) करों का भुगतान उस अवधि के दौरान संबंधित व्यक्तियों द्वारा किए गए वित्तीय लेनदेन के अनुरूप नहीं है।”
कौन से हैं वो ‘महत्वपूर्ण वित्तीय लेन-देन’?
एसके पटोदिया एलएलपी में एसोसिएट डायरेक्टर (डायरेक्ट टैक्स) मिहिर टन्ना के अनुसार, आयकर विभाग को रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा दाखिल किए गए वित्तीय लेनदेन के विवरण (SFT) सहित विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिलती है।
टैक्समैन के वीपी नवीन वाधवा के अनुसार, वित्तीय लेनदेन का विवरण (SFT) एक रिपोर्टिंग मैकेनिज्म है, जिसमें कुछ संस्थाओं को आयकर विभाग को महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी देनी होती है। उन्होंने बताया कि यह स्टेटमेंट उस वित्तीय वर्ष के तुरंत बाद 31 मई तक या उससे पहले दाखिल किया जाता है जिसमें लेनदेन पंजीकृत या दर्ज किया गया है। हालांकि, कैपिटल गेन से जुड़े SFT को छमाही आधार पर दाखिल करना होता है।
इन लेन-देन पर रहेगी नज़र:
निम्नलिखित लेनदेन को महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन के रूप में रिपोर्ट किया जाता है:
- उच्च-मूल्य के लेनदेन (High-value transactions)
- ब्याज का भुगतान (Payment of interest)
- लाभांश का भुगतान (Payment of dividends)
- सूचीबद्ध प्रतिभूतियों और म्यूचुअल फंड की इकाइयों से कैपिटल गेन (Capital gains)
विभाग की नज़र इन हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन पर
लेन-देन की प्रकृति | ट्रांजैक्शन का मूल्य | रिपोर्टिंग करने वाला व्यक्ति |
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बैंक ड्राफ्ट या पे ऑर्डर या बैंकर चेक की खरीद के लिए नकद भुगतान | यदि कुल भुगतान एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक है | बैंक या सहकारी बैंक |
आरबीआई द्वारा जारी प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट्स की खरीद के लिए नकद भुगतान | यदि कुल भुगतान एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक है | बैंक या सहकारी बैंक |
किसी व्यक्ति के एक या अधिक खातों (चालू खाता और सावधि जमा के अलावा) में नकद जमा | यदि कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | बैंक या सहकारी बैंक या पोस्टमास्टर जनरल |
किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रकार के सामान या सेवाओं की बिक्री के लिए नकद भुगतान की प्राप्ति | यदि राशि 2 लाख रुपये से अधिक है | कोई भी व्यक्ति जो धारा 44AB के तहत टैक्स ऑडिट के लिए उत्तरदायी है |
उस व्यक्ति को जारी एक या अधिक क्रेडिट कार्ड के लिए नकद भुगतान | यदि कुल भुगतान एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये या उससे अधिक है | बैंक या सहकारी बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कोई अन्य कंपनी या संस्थान |
उस व्यक्ति को जारी एक या अधिक क्रेडिट कार्ड के लिए किसी भी मोड (नकद के अलावा) में भुगतान | यदि कुल भुगतान एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक है | बैंक या सहकारी बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कोई अन्य कंपनी या संस्थान |
किसी व्यक्ति के एक या अधिक टाइम डिपॉजिट (किसी अन्य टाइम डिपॉजिट को रीन्यू करके जमा को छोड़कर) | यदि कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | बैंक या को-ऑप. बैंक, पोस्टमास्टर जनरल, निधि कंपनियां, एनबीएफसी |
कंपनी या संस्था द्वारा जारी बॉन्ड या डिबेंचर प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति से प्राप्ति | यदि कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | बॉन्ड या डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्था |
कंपनी द्वारा जारी शेयरों को प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति से प्राप्ति | यदि कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | शेयर जारी करने वाली कंपनी |
म्यूचुअल फंड की एक या अधिक योजनाओं की इकाइयों को प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति से प्राप्ति | यदि कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | म्यूचुअल फंड का ट्रस्टी या म्यूचुअल फंड के मामलों को देखने वाला अन्य प्राधिकृत व्यक्ति |
किसी भी व्यक्ति द्वारा अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री | यदि लेन-देन का मूल्य या स्टाम्प मूल्यांकन प्राधिकरण का वैल्यूएशन 30 लाख रुपये या उससे अधिक है | रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत इंस्पेक्टर-जनरल या रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार |
विदेशी मुद्रा की बिक्री के लिए किसी भी व्यक्ति से प्राप्ति | यदि कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | प्राधिकृत डीलर, मनी चेंजर, ऑफशोर बैंकिंग यूनिट, विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए किसी और को अधिकृत किया गया है |
डेबिट या क्रेडिट कार्ड या ट्रैवलर्स चेक या ड्राफ्ट या किसी अन्य साधन के जरिये विदेशी मुद्रा में व्यय | यदि एक वित्तीय वर्ष में कुल व्यय 10 लाख रुपये या इससे अधिक है | प्राधिकृत डीलर, मनी चेंजर, ऑफशोर बैंकिंग यूनिट, विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए किसी और को अधिकृत किया गया है |
कैसे पता करें कि आप नियमों का कर रहे हैं पालन?
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक, स्रोत पर काटा गया टैक्स (TDS) घटाने के बाद अगर किसी का सालाना टैक्स 10 हज़ार रुपये से ज्यादा बनता है, तो उसे एडवांस टैक्स भरना होता है। अगर आप सुनिश्चित नहीं हैं कि आपको अपने लेनदेन पर एडवांस टैक्स देना है या नहीं, तो आपको अभी compliance portal: https://incometaxindiaefiling.gov.in/home पर जाना चाहिए।