भारत में कृषि आय और खेती की जमीन की बिक्री को सालों से टैक्स बचाने और काले धन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन अब आयकर विभाग (I-T) ने इस पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। पूरे देश में ऐसे मामलों की जांच चल रही है, जहां लोगों ने 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा की कृषि आय दिखाई है, लेकिन उनके पास कोई खेती की जमीन ही नहीं है।
कैसे हो रही है गड़बड़ी?
👉 50 लाख या ज्यादा की कृषि आय बताने वालों के पास जमीन का कोई सबूत नहीं।
👉 कुछ लोग 5 लाख रुपये प्रति एकड़ तक की आमदनी दिखा रहे हैं, जो बाजार के औसत से काफी ज्यादा है।
👉 असली खेती की आमदनी नहीं, बल्कि प्लॉटिंग, फार्महाउस किराये, पोल्ट्री फार्मिंग जैसी गैर-कृषि गतिविधियों से हुई कमाई को भी टैक्स-फ्री कृषि आय बताकर बचाया जा रहा है।
अब क्या कर रहा है आयकर विभाग?
✅ सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए पता लगाया जा रहा है कि जिस जमीन को कृषि भूमि बताया गया है, वहां सच में खेती हुई थी या नहीं।
✅ बैंक स्टेटमेंट और वार्षिक आय विवरण (AIS) से यह देखा जा रहा है कि जमीन बेचने के सौदे सही हैं या गड़बड़ हुई है।
✅ जमीन बिक्री के एग्रीमेंट और लेन-देन के रिकॉर्ड मांगे जा रहे हैं, ताकि टैक्स चोरी का पर्दाफाश हो सके।
कौन-सी कृषि आय टैक्स फ्री होती है?
✅ कृषि उपज (फसल) बेचने से हुई आमदनी।
✅ गांवों में किराए पर दी गई खेती की जमीन से होने वाली कमाई।
✅ रूरल एरिया की कृषि भूमि की बिक्री पर हुई पूंजीगत आय (Capital Gains), जो टैक्स के दायरे में नहीं आती।
कौन-सी आमदनी पर टैक्स लगेगा?
❌ शहरी इलाकों में कृषि भूमि की बिक्री पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) लगेगा।
❌ फार्महाउस किराये पर देना, जमीन बेचकर प्लॉटिंग करना, पोल्ट्री फार्मिंग जैसी गतिविधियां कृषि आय नहीं मानी जाएंगी।

गलत तरीके से टैक्स छूट लेने पर क्या होगा?
🚨 अगर कोई गलत तरीके से कृषि आय बताकर टैक्स बचाने की कोशिश करता है, तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।
🚨 गलत रिपोर्टिंग पर आयकर विभाग केस दर्ज कर सकता है और जांच आगे बढ़ सकती है।
🚨 2 लाख रुपये से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन करने पर भी गंभीर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
क्यों है यह मुद्दा बड़ा?
कई बड़े राजनेता, उद्योगपति और प्रभावशाली लोग कृषि भूमि को टैक्स बचाने का जरिया बनाते हैं। अगर यह जांच गहराई तक गई, तो कई बड़े नाम उजागर हो सकते हैं और यह मामला राजनीतिक रूप से भी गरमाया जा सकता है।




