केंद्र सरकार ने प्रस्तावित इनकम टैक्स बिल 2025 में एक बड़ा बदलाव किया है, जो सीधे सैलरीड कर्मचारियों के फायदे से जुड़ा है। अभी तक ऑफिस आने-जाने के लिए कंपनी की तरफ से दी गई गाड़ी के खर्च पर ही टैक्स छूट मिलती थी। लेकिन नए बिल में साफ कर दिया गया है कि अगर नियोक्ता (employer) आपकी गाड़ी, कैब, टैक्सी या किसी भी माध्यम से आपके ऑफिस आने-जाने का खर्च उठाता है, तो यह टैक्स-फ्री रहेगा।
पहले क्या था नियम?
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 17(2)(iii) में कहा गया था:
“कंपनी या नियोक्ता द्वारा दी गई गाड़ी के इस्तेमाल को टैक्सेबल परिक्विज़िट (perquisite) नहीं माना जाएगा, यदि वह घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक के सफर के लिए है।”
लेकिन इस नियम की भाषा में ‘कंपनी द्वारा दी गई गाड़ी’ शब्दों की वजह से कोर्ट में कई बार विवाद हुआ।
अब क्या बदलाव किया गया है?
प्रस्तावित इनकम टैक्स बिल, 2025 के सेक्शन 17(2)(e) में कहा गया है:
“कर्मचारी के निवास से ऑफिस और ऑफिस से निवास तक यात्रा के लिए किसी भी वाहन के उपयोग पर नियोक्ता द्वारा किया गया कोई भी खर्च टैक्स फ्री परिक्विज़िट होगा।”
इसका मतलब है कि चाहे गाड़ी नियोक्ता की हो, आपकी हो या आपने कोई कैब बुक की हो — यदि उसका भुगतान कंपनी करती है या खर्च रिइम्बर्स करती है, तो वह टैक्स फ्री माना जाएगा।
एक्सपर्ट्स की राय क्या है?
1. स्पष्टता आ गई है:
शालिनी जैन, टैक्स पार्टनर, EY India कहती हैं:
“पहले कोर्ट के फैसलों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब कानून में स्पष्ट रूप से कह दिया गया है कि नियोक्ता द्वारा किसी भी वाहन से ऑफिस यात्रा का खर्च टैक्स फ्री रहेगा, चाहे वह सीधे पेमेंट हो या रिइम्बर्समेंट।”
2. बड़े दायरे में मिलेगा फायदा:
सीए सुरेश सुराणा का कहना है:
“अब सिर्फ कंपनी की गाड़ी नहीं, बल्कि कोई भी वाहन खर्च का भुगतान नियोक्ता करे, वह टैक्स फ्री रहेगा। मतलब आप अगर ओला-उबर या मेट्रो से आते हैं और कंपनी खर्च उठाती है, तो भी आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा।”
3. नियम का मकसद वही है, भाषा बदली है:
सीए आशीष करुंडिया का कहना है:
“कोर उद्देश्य वही है, भाषा को आसान और विवाद रहित बनाया गया है। पहले भी कोर्ट के फैसले कहते थे कि वाहन किसका है, इससे फर्क नहीं पड़ता। अब कानून ने भी यह मान लिया है।”
क्या असर पड़ेगा सैलरीड लोगों पर?
1. कंपनी से मिलने वाला ट्रैवल खर्च टैक्स फ्री हो जाएगा
अब चाहे कंपनी की गाड़ी हो, कंपनी ने कैब का पेमेंट किया हो, या आपका खुद का खर्च रिइम्बर्स किया हो — सब टैक्स फ्री रहेगा।
2. ट्रैवल अलाउंस या यात्रा भत्ते में कोई बदलाव नहीं
अगर कंपनी सिर्फ यात्रा भत्ता (ट्रेवल अलाउंस) देती है, तो वह टैक्स फ्री नहीं होगा। परंतु खर्च का भुगतान (actual expense) हुआ हो तो टैक्स छूट मिलेगी।
3. कर्मचारियों के लिए फायदे का सौदा
अब रिइम्बर्समेंट के लिए भी टैक्स नहीं देना होगा। पहले सिर्फ कंपनी द्वारा दी गई गाड़ी पर ही फायदा था।
क्या कंपनियों पर असर पड़ेगा?
कंपनियों पर बढ़ेगा दस्तावेजी बोझ
योगेश काले, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, Nangia Andersen LLP कहते हैं:
“कंपनियों को रिइम्बर्समेंट का रिकॉर्ड, बिल, यात्रा विवरण रखना होगा ताकि टैक्स अधिकारियों को साबित किया जा सके कि खर्च ऑफिस यात्रा का ही था।”
फर्जीवाड़े का भी खतरा बढ़ेगा
डिंकर शर्मा, कंपनी सेक्रेटरी कहते हैं:
“नियोक्ता के खर्च उठाने की परिभाषा व्यापक हो गई है। यह अच्छी बात है, लेकिन कंपनियों को यह ध्यान रखना होगा कि इस प्रावधान का दुरुपयोग न हो।”
टेबल में देखें नया और पुराना फर्क:
पहलू | पुराना नियम (1961) | नया प्रस्तावित नियम (2025) |
---|---|---|
किसके वाहन पर छूट | सिर्फ नियोक्ता द्वारा दी गई गाड़ी पर | किसी भी वाहन पर, अगर खर्च नियोक्ता उठाए |
सीधा पेमेंट और रिइम्बर्समेंट | अस्पष्ट, कोर्ट के फैसलों पर निर्भर | दोनों ही स्थिति में स्पष्ट रूप से टैक्स फ्री |
यात्रा भत्ता/ अलाउंस | टैक्सेबल | अभी भी टैक्सेबल ही रहेगा (अन्य सेक्शन में छूट हो सकती है) |
दस्तावेजों की आवश्यकता | कम | ज्यादा, हर खर्च का रिकॉर्ड रखना होगा |
दायरा | सीमित | व्यापक — ओला-उबर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर खर्च भी कवर |
सरल भाषा में कहें तो — अगर आपकी कंपनी आपके ऑफिस आने-जाने का कोई भी खर्च उठाती है (सीधे पेमेंट करके या रिइम्बर्समेंट के ज़रिए), तो वह खर्च अब पूरी तरह टैक्स फ्री माना जाएगा। लेकिन कंपनियों को यह साबित करने के लिए दस्तावेज़ रखने होंगे कि यह खर्च केवल ऑफिस यात्रा का ही है।