भारत और सऊदी अरब ने द्विपक्षीय समुद्री संबंधों को गहरा करने पर सहमति जताई है। दोनों देशों ने शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में समुद्री सहयोग पर एक संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group – JWG) का गठन किया है, जो इस रणनीतिक साझेदारी में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
यह निर्णय भारत के पोर्ट्स, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और सऊदी अरब के परिवहन व लॉजिस्टिक सेवाओं के मंत्री सालेह बिन नासिर अल-जासर के बीच हुई एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल बैठक में लिया गया। बयान के अनुसार, सोनोवाल ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और लगातार मजबूत होते संबंधों को रेखांकित किया। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और बढ़ते संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच सदियों पुराने आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक रिश्ते हैं। दोनों देशों के नेताओं द्वारा सह-अध्यक्षता वाले रणनीतिक साझेदारी परिषद (Strategic Partnership Council) की स्थापना ने द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। सोनोवाल ने हाल की प्रगति का उल्लेख किया, जिसमें जेद्दा–मुंद्रा/न्हावा शेवा मार्ग की शुरुआत शामिल है, जिसे सऊदी अरब की फोक मैरीटाइम सर्विसेज द्वारा लॉन्च किया गया है और जिससे परिवहन समय और लागत कम होने की उम्मीद है। उन्होंने भारत के MAITRI डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर समुद्री व्यापार के सामंजस्य (harmonisation) के लिए सहयोग का भी प्रस्ताव रखा।
सऊदी अरब, भारत का पांचवा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 42 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा। वार्ता के दौरान, सोनोवाल ने भारत के मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 और अमृत काल विज़न 2047 को सऊदी अरब के विज़न 2030 से जुड़ी पूरकतायें उजागर कीं। भारत ने सऊदी अरब को अपने बंदरगाह और शिपिंग इकोसिस्टम में निवेश संभावनाओं का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया।
मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड, जिसकी पूंजी 3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, बंदरगाह अवसंरचना, तटीय शिपिंग और लॉजिस्टिक्स में अवसर प्रदान करता है। भारत ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स, जैसे वधावन पोर्ट (पश्चिमी तट पर) और वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट (तमिलनाडु) का आउटर हार्बर प्रोजेक्ट, को प्रमुख निवेश गंतव्यों के रूप में प्रस्तुत किया।




