भारत में आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत कम होने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने खोजे गए लिथियम ब्लॉक को बिक्री के लिए रखा जाएगा।
खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह जानकारी दी है। आपको बता दें कि लिथियम एक अलौह धातु है और ईवी बैटरियों में प्रमुख घटकों में से एक है। जोशी ने राज्य सभा में कहा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार खनिज ब्लॉक की समग्र लाइसेंस (सीएल) के रूप में नीलामी करेगी। उसके बाद वित्तीय व्यवहार्यता निर्धारित की जाएगी। मंत्री ने कहा, जीएसआई (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण) ने फील्ड सीजन 2020-21 और 2021-22 के दौरान जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमना क्षेत्रों में जी3 चरण की परियोजना को अंजाम दिया और 59 लाख टन लिथियम के अनुमानित संसाधन (जी3) का अनुमान लगाया। अयस्क और रिपोर्ट केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार को सौंप दी गई है।
अभी तक चीन समेत दूसरे देशों पर निर्भरता
अभी तक ईवी गाड़ियों के लिए बैटरी सेल बनाने के लिए कच्चे माल की कमी के कारण भारत आयातित लिथियम-आयन बैटरी पर बहुत अधिक निर्भर है। अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार फर्म आर्थर डी. लिटिल के अनुसार, देश अपनी बैटरी-सेल आवश्यकताओं का लगभग 70 प्रतिशत चीन और हांगकांग से आयात करता है। भारत को बड़े पैमाने पर लिथियम के निर्यात करने से काफी विदेशी मुद्रा खर्च होता है। लिथियम भंडार भारत में मिलने से भारत की विदेशी मुद्रा खर्च होने से तो बचेगी ही। साथ ही भारत लिथियम का निर्यात कर अपना राजस्व भी बढ़ा सकेगा।
आपको बता दें कि लिथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में 93 लाख टन का है। ऑस्ट्रेलिया में 63 लाख टन, अर्जेंटीना में 27 लाख टन और चीन में 20 लाख टन लिथियम उत्पाद किया जाता है। भारत चीन से सबसे ज्यादा लिथियम आयात करता है। भारत में लिथियम मिलने से अब चीन समेत दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म होगी। साथ ही बैटरी की लागत में बड़ी कमी आएगी। इससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत कम करने में मदद मिलेगी।
टॉप 10 देशों में शामिल हुआ भारत
भारत उच्चतम लिथियम भंडार वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल हो गया है। दुनिया में अब तक 88 मिलियन टन लिथियम का पता चल चुका है। बोलीविया 21 मिलियन टन लिथियम के साथ पहले स्थान पर है, इसके बाद 20 मिलियन टन के साथ अर्जेंटीना, 12 मिलियन टन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, 11 मिलियन टन के साथ चिली, 7.9 के साथ ऑस्ट्रेलिया है। चीन 6.8 मिलियन टन और भारत 5.9 मिलियन टन के साथ सातवें स्थान पर है। एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईवी) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 50 जीडब्ल्यूएच लिथियम-आयन सेल और बैटरी निर्माण संयंत्र स्थापित करने के सरकार का पीएलआई लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को 33,750 करोड़ रुपये तक के निवेश की जरूरत है। देश को 2030 तक अपनी बिजली क्षेत्रों को डीकाबोर्नाइज करने के लिए 903 जीडब्ल्यूएच ऊर्जा भंडारण की जरूरत है और लिथियम-आयन बैटरी इस भारी मांग को पूरा करेगी।