संसद में सत्र चल रहा था और विपक्ष ने भारत के विदेश नीति को लेकर टिप्पणी करना शुरू कर दिया मामला भारत और चीन के बीच हुए उलझन पर था. लेकिन पक्ष के तरफ से उठे भारत के विदेश मंत्री ने 2 शब्द अंग्रेजी में और 4 लाइन इंग्लिश में बोलते हुए समझा दिया कि 2014 और उसके बाद ही भारतीय विदेश नीति ज्यादा कारगर हुई है. और हमलोग अंग्रेज़ी शाहब को आज भी ज़्यादा तवज्जो देते हैं, सच मानते हैं.

 

आप जानते हैं ना मैं पक्ष का हूं और ना विपक्ष हूं. मैं कटाक्ष हूं जगदीश्वर चतुर्वेदी से फेसबुक मुलाकात में कुछ चीजें याद दिला दें शायद आज की वह पीढ़ी जो व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर ज्ञान का पुलिंदा खोजती है उन्हें इसकी कम जानकारी होगी. और नहीं जानकारी होने का पुख्ता सबूत भरे बाजार में 100 लोगों से इंदिरा गांधी नेहरू लाल बहादुर शास्त्री और यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेई के द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य पूछ कर आप इसकी पुष्टि कर सकते हैं.

 

Bangladesh Mukti Fauj at Jessor.

एक जमाना था, विभिन्न देशों की गरीबी और जुल्म से पीड़ित जनता की मदद करना हमारी विदेश नीति का अंग था । फलस्तीन, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, क्यूबा, वियतनाम आदि को भारत ने • जो मदद दी, वह सारी दुनिया में सराही गई। यहां तक कि जाफना में तमिलों पर होने वाले जुल्मों का हमने विरोध ही नहीं किया, उनकी रक्षा के लिए सैन्य कार्रवाई भी की। बांग्लादेश ( पहले पूर्वी पाकिस्तान) में भी जब पाक सेना जुल्म कर रही थी, तब अवामी लीग और बांग्लादेश की जनता की सभी नियम तोड़कर मदद की, और उनको आजाद कराया। भारत ने यह नहीं सोचा कि दुनिया क्या कहेगी ? मगर जब से यहां निजाम बदला है, परंपरा ही पलट दी गई है। विदेश नीति को मानो खत्म ही कर दिया गया है, और एक-एक करके सभी पड़ोसी देशों से संबंध बिगाड़ लिए गए हैं। कल्पना कीजिए, सन् 62 के युद्ध के बाद लगातार कूटनीतिक संवाद को महत्व देकर निरंतर वार्ताएं चलाकर चीन को व्यस्त रखा गया। निरंतर कूटनीतिक संवाद और हस्तक्षेप, ये दो विदेश नीति के महत्वपूर्ण उपकरण रहे हैं। अफसोस, यह सब खत्म कर दिया गया है। अब विदेश नीति के नाम पर ‘इवेंट’ होते हैं ।

बिहार से हूँ। बिहार होने पर गर्व हैं। फर्जी ख़बरों की क्लास लगाता हूँ। प्रवासियों को दोस्त हूँ। भारत मेरा सबकुछ हैं। Instagram पर @nyabihar तथा lov@gulfhindi.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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